जौनपुर। शाहगंज कोतवाली क्षेत्र के इमरानगंज बाजार चौक के समीप सोमवार प्रातः साढ़े नौ बजे पत्रकार आशुतोष को गोलियों से भून कर मौत के घाट उतार दिया गया था। इसके बाद पत्रकार के भाई संतोष श्रीवास्तव की तहरीर पर 4 नामजद आरोपियों में धनाढ्य नासिर जमाल, उसका भाई अर्फी उर्फ कामरान, जेल में बंद मो. हासिम और हिस्ट्रीशीटर जमीरुद्दीन कुरैशी के साथ 5 अज्ञात के विरुद्ध मामला पंजीकृत किया गया था। हालांकि आशुतोष ने कई बार जिला प्रशासन और पुलिस से किसी भाजपा नेता से अपने जान का खतरा बताते हुई उचित कार्रवाई की मांग भी किया था।
जमीरुद्दीन कुरैशी को पुलिस ने भिवंडी से मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया था। जमीरुद्दीन की गिनती पूर्वांचल का कुख्यात गो तस्करों में होती है।
बताया जाता है कि गुरुवार को ट्रांजिट रिमांड के बाद गोदान एक्सप्रेस ट्रेन में कोतवाली के उपनिरीक्षक मंशाराम गुप्ता और कांस्टेबल बृजेश मिश्रा साथ ला रहे थे। खंडवा स्टेशन पर शौच के बहाने पुलिस को चकमा दे फरार हो गया। इसके बाद सक्रिय हुई पुलिस ने एसओजी के नेतृत्व में एक टीम मुम्बई भेजा। वहीं कोतवाली से उपनिरीक्षक जफर रिजवी और संतोष शुक्ला कों मुम्बई भेजा गया। पूर्व में गिरफ्तार करने वाले कांस्टेबल बृजेश मिश्रा भी साथ रहे। रविवार प्रातः निर्मम हत्याकांड में नामजद आरोपित जमीरुद्दीन कुरैशी कों पुनः गिरफ्तार कर लिया गया।
आखिर कौन हैं भाजपा नेता जिससे पत्रकार ने बताया था जान का खतरा?
यह सवाल हत्या के बाद से ही जनचर्चा का विषय बना हुआ है। आखिरकार अज्ञात लोग कौन लोग हैं। किसने फंडिंग किया। कौन है पूरे घटना का मास्टरमाइंड? शूटरों की व्यवस्था किसने किया। कौन है शूटर। कुछ ऐसे ज्वलंत प्रश्न है जिसे दिवंगत के परिजन व आमजन जानना चाहती हैं लेकिन पुलिस के पास अभी इन सवालों का जवाब नहीं है। या जवाब नहीं देना चाह रहे।
भाजपा प्रत्याशी, जिलाध्यक्ष सहित कोई नहीं पहुंचा घर
जिन्दगी भर हिन्दुत्व का झंडा बुलंद करने वाले पत्रकार आशुतोष की निर्मम हत्या कर दिया गया। आशुतोष सरकार की मंशानुरूप गोकशी, गो तस्करी, धर्मांतरण और भू माफियाओं के विरुद्ध आवाज बुलंद करते रहे लेकिन इनाम के रूप में मौत मिला। वहीं घर पर मर्माहत परिजनों को सांत्वना देने कोई भी भाजपा का बड़ा नेता यहां तक लोकसभा प्रत्याशी जिलाध्यक्ष तक नहीं पहुंचे जिससे लोगों में गम और गुस्सा दोनों चरम पर है।
कहीं जमीरुद्दीन कुरैशी के एनकाउंटर की तैयारी तो नहीं?
पुलिस के अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि हो न हो कुरैशी को यमलोक पहुंचाने की तैयारी हो चुका है। जमीरूद्दीन ने पहली बार पकड़े जाने पर भागकर अपनी मौत के वारंट पर साइन कर दिया था। इसकी जनचर्चा मृतक के गांव से लगा पूरे क्षेत्र में हो रहा है। वहीं पूर्व में तैनात रहे थानाध्यक्षों और पूर्व क्षेत्राधिकारी भी ऐसा अंदेशा जता रहे हैं जिसके चलते अफवाह को बल मिल रहा है। वहीं आरोपित को निजी वाहन से लाने की तैयारी हो रही है। अफवाह का एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है।
वहीं योगी सरकार के अपराध पर जीरो टालरेंस के सख्त रवैया भी कहा जा रहा है। यह कोरी अफवाह है या कुछ और यह भविष्य में ही पता चल सकेगा। वहीं परिजनों को शक है कि जमीरुद्दीन को बलि का बकरा बना मुख्य अपराधी को बचाने का काम पुलिस कर सकती है।
आखिर पुलिस क्यों मेहरबान है?
पत्रकार हत्याकाण्ड में नामजद मुम्बई के अरबपति और क्षेत्र में कई विद्यालयों महाविद्यालय के प्रबंधक नासिर जमाल पर आखिर पुलिस क्यों मेहरबान है? वहीं उसका भाई अर्फी उर्फ कामरान भी अभी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। वहीं तहरीर में 5 अज्ञात अपराधियों को भी पुलिस चिंहित नहीं कर सकी है जबकि मृतक ने पूर्व में ही नासिर जमाल व एक भाजपा नेता पर हत्या कराने का शक जाहिर किया था।