लोकतंत्र और संविधान बचाने में अधिवक्ताओं की अहम भूमिका: अखिलेश यादव

लखनऊ। 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव का लगातार पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का दौर जारी है। इसी क्रम में रविवार को राजधानी लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय में समाजवादी अधिवक्ता सभा सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों के अधिवक्ता शामिल हुए। इस मौके पर महंगाई, बेरोजगारी, नोटबंदी और यूरिया की बोरी से चोरी के मुनाफे के सौदे को लेकर बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला। वहीं अधिवक्ता सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्ण कन्हैया पाल ने अखिलेश यादव को 12 सूत्रीय एजेंडा सौंपा। साथ ही अधिवक्ताओं ने लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को जिताने का संकल्प लिया।
सपा मुखिया ने समाजवादी अधिवक्ता सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश और देश की जनता परिवर्तन चाहती है। भाजपा सरकार की गलत नीतियों से हर वर्ग परेशान है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बदलाव होना तय है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता समाज जागरूक और प्रभावशाली है। वह समाज और आम जनता की समस्याओं को समझता है। अधिवक्ता समाज समाजवादी पार्टी की नीतियों, कार्यक्रमों और अपने एजेण्डे को आम जनता तक पहुंचाने में कामयाब हो गया तो परिवर्तन तय है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा लोकतंत्र और संविधान को कमजोर कर रही है। समाजवादी पार्टी संविधान और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। समाजवादी पार्टी ने नारा दिया है 80 हराओ, भाजपा हटाओं। भाजपा हटेगी तभी लोकतंत्र और संविधान बचेगा। लोकतंत्र और संविधान को बचाने में अधिवक्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

अखिलेश यादव ने आगे कहा कि समाजवादी सरकार ने अधिवक्ताओं के लिए काम किया। नेता जी और समाजवादी सरकार ने अधिवक्ताओं के चेम्बरों की व्यवस्था की और उनके हित में कई फैसले लिए। लखनऊ की नयी हाईकोर्ट बिल्डिंग समाजवादी सरकार में बनी। जिसकी तत्कालीन चीफ जस्टिस समेत सभी ने तारीफ़ की। लेकिन आज भाजपा सरकार उसका मेंटीनेंस तक नहीं कर पा रही है।

बता दें कि अधिवक्ताओं की ओर से सपा मुखिया अखिलेश यादव को सौंपे गए 12 सूत्रीय एजेंडा में चुनाव प्रक्रिया में अधिवक्ताओं की भूमिका तय करने, विधिक सलाहकार समिति बनाने, आरक्षण का लाभ जूडीशियल सेवा में देने, राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग के गठन, वक्फ सम्पत्तियों के सर्वेक्षण और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा आदि देने का जिक्र है।

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