आदित्य एल1सूर्य की सोलर एटमॉस्फेयर का करेगा अध्ययन, ऐसे करेगा कार्य…

नई दिल्ली। शनिवार 06 जनवरी शाम करीब चार बजे आदित्य एल 1 को एल 1 पॉइंट की हेलो ऑर्बिट में पहुंचा दिया गया है। सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य का पता लगाने के लिए भारत के पहला सौर मिशन ‘आदित्य’ में सात पेलोड लगे हैं। इस मिशन से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों पर डालते हैं एक नजर

क्यों महत्वपूर्ण है सूर्य का अध्ययन?
सूर्य परमाणु संलयन के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न करता है। सूर्य के फोटोस्फेयर का तापमान 6,000 डिग्री सेल्सियस है। सूर्य की यह परत प्रकाश उत्सर्जित करती है, जो जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना का तापमान कई लाख डिग्री सेल्सियस है।

यह पराबैंगनी और एक्स-रे विकिरण भी उत्सर्जित करती है जो पृथ्वी पर जीवन के लिए घातक है। यह रहस्य है कि कोरोना सूर्य की आंतरिक परतों की तुलना में बहुत अधिक गर्म कैसे है। इसके साथ ही आदित्य-एल1 के पेलोड सूर्य के कई रहस्यों को सुलझाने का प्रयास करेंगे।

इसके अलावा सूर्य पर विस्फोटों की निगरानी और सौर हवा का भी अध्ययन करने के लिए सौर वातावरण और कोरोना की लगातार निगरानी करने की जरूरत है। इस कार्य को जितना संभव हो सके सूर्य के करीब से पूरा किया जाना चाहिए। इससे सौर विस्फोटों की पूर्व चेतावनी देने में मदद मिलेगी। उनके कारण होने वाले व्यवधान को कम करने के लिए कदम उठाने में भी मदद मिलेगी।

सौर कंपन का अध्ययन करने के लिए सूर्य की निगरानी जरूरी
जिस तरह पृथ्वी पर भूकंप आते हैं, उसी तरह सौर भूकंप भी होते हैं, जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। सौर कंपन का अध्ययन करने के लिए सूर्य की निगरानी जरूरी है, क्योंकि जो पृथ्वी के भू-चुंबकीय क्षेत्रों को बदल सकती है। कभी-कभी, ये उपग्रहों को नुकसान पहुंचाते हैं। कोरोनल मास इजेक्शन के कारण उपग्रहों के सभी इलेक्ट्रानिक्स खराब हो सकते हैं।

सौर मिशन के उद्देश्य
सौर वायुमंडल (क्रोमोस्फेयर और कोरोना) की गतिशीलता का अध्ययन
क्रोमोस्फेयर और कोरोना की ऊष्मा का अध्ययन
कोरोना से विशाल पैमाने पर निकलने वाली ऊर्जा के बारे में अध्ययन करना
आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी के बारे में जानकारी प्राप्त करना
सौर वातावरण से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों के बड़े पैमाने पर विस्फोट का अध्ययन
अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता को समझना
सौर कंपन का अध्ययन

एल1 में है सात पेलोड
विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ
सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप
आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट
प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फार आदित्य
सोलर लो एनर्जी एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर
हाई एनर्जी एल1 आर्बिटिंग एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर
एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स

क्या काम करेंगे ये पेलोड
आदित्य-एल1 राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी वाला पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एस्ट्रोफिजिक्स ने विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड को बनाया है। यह सीएमई की गतिशीलता का अध्ययन करेगा। यह ग्राउंड स्टेशन पर पांच साल तक प्रति दिन 1,440 तस्वीरें भेजेगा। पहली तस्वीर फरवरी के अंत तक मिलेगी।

सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फार एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे ने विकसित किया है। यह फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की तस्वीरें लेगा और सौर विकिरण को भी मापेगा। आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट और प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फार आदित्य सौर पवन और आयनों के साथ-साथ सौर ऊर्जा का अध्ययन करेंगे।

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