नई दिल्ली। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस या सफर के दौरान लोग अक्सर अपने साथ पानी की प्लास्टिक वाली बोतल रखते हैं। हालांकि, लगातार इस तरह की बोतल से पानी पीना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। प्लास्टिक से होने वाले नुकसानों के बारे में तो हमने अक्सर सुना या पढ़ा होगा, लेकिन अब हाल ही में सामने आई एक ताजा स्टडी में कुछ चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं।
इस नए अध्ययन के अनुसार, पानी की एक सामान्य एक लीटर (33-औंस) बोतल में औसतन लगभग 240,000 प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं। इस ताजा में शोधकर्ताओं ने नैनोप्लास्टिक्स पर फोकस किया। यह माइक्रोप्लास्टिक्स से भी छोटे कण होते हैं। यह पहली बार था, जब अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय की टीम रिफाइंड टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बोतलबंद पानी में इन सूक्ष्म कणों को गिनकर इनकी पहचान की है। प्लास्टिक के ये छोटे टुकड़े हमारी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इस नई स्टडी के बारे में-
क्या कहती है स्टडी
जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चलता है कि बोतलबंद पानी में पहले के अनुमान से 100 गुना अधिक प्लास्टिक कण हो सकते हैं। ये नैनोप्लास्टिक्स इतने छोटे होते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक्स के विपरीत आंतों और फेफड़ों से सीधे खून में प्रवेश कर सकते हैं और वहां से हृदय और मस्तिष्क सहित अन्य अंगों तक पहुंच सकते हैं।
प्लास्टिक के बोतल के नुकसान
नैनोप्लास्टिक्स हमारे स्वास्थ्य के लिए माइक्रोप्लास्टिक्स की तुलना में ज्यादा खतरा पैदा करते हैं, क्योंकि वे हमारी सेल्स और खून में प्रवेश करने और अंगों को प्रभावित करने के लिए काफी छोटे होते हैं। नैनोप्लास्टिक्स नाल के जरिए अजन्मे बच्चे के शरीर में भी जा सकते हैं। आइए जानते हैं प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने के कुछ अन्य हानिकारक प्रभाव-
ब्रेस्ट कैंसर
सूर्य के संपर्क में आने से प्लास्टिक की पानी की बोतलें डाइऑक्सिन नामक टॉक्सिन प्रोड्यूस करती हैं। यह डाइऑक्सिन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है।
डायबिटीज
प्लास्टिक की बोलत में पानी पीने से डायबिटीज की समस्या भी हो सकती है। दरअसल, ये बोलतें बाइफिनाइल ए एक एस्ट्रोजन-मिमिकिंग केमिकल होता है, जो डायबिटीज, मोटापा, प्रजनन संबंधी समस्याएं, व्यवहार संबंधी समस्याएं और लड़कियों में जल्दी प्यूबर्टी का कारण बनता है।
इम्युनिटी से जुड़ी समस्याएं
प्लास्टिक की बोतलों में बने रसायन वाले पानी को पीने पर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
लिवर कैंसर
प्लास्टिक में पाए जाने वाले थैलेट्स नामक केमिकल से लिवर कैंसर और स्पर्म की संख्या में कमी हो सकती है।
ये हैं बेहतर विकल्प
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए क्या उपाय अपनाए जाए। प्लास्टिक के इन नुकसानों से सुरक्षित रहने के लिए आप प्लास्टिक की बोतल के बजाय तांबे, कांच या स्टेनलेस स्टील की बोतल से पानी पी सकते हैं।