यूपी पुलिस की एक महिला सिपाही करना चाहती हैं लिंग परिवर्तन…

उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात महिला सिपाहियों के जेंडर चेंज यानी लिंग परिवर्तन की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. जिसे लेकर राज्य सरकार की ओर से आज की सुनवाई में जवाब दाखिल किया जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस बारे में नियमावली के बारे में जानकारी दी जाएगी. हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई पर डीजीपी को महिला सिपाही की अर्जी पर निर्णय लेने का आदेश दिया था.

हाईकोर्ट को बताया गया था कि डीजीपी ऑफिस ने अभी तक महिला सिपाही की अर्जी पर कोई फैसला नहीं लिया है. इसके अलावा यूपी सरकार ने अभी तक इस बारे में कोई नियमावली भी नहीं बनाई है. हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने पर नाराजगी जताई थी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को एक और मौका दिया था.

महिला कांस्टेबल नेहा सिंह चौहान ने दाखिल की याचिका

गोंडा में तैनात महिला कांस्टेबल नेहा सिंह चौहान की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस अजीत कुमार की सिंगल बेंच में होगी. हाईकोर्ट ने 18 अगस्त के आदेश में यूपी के डीजीपी को नेहा सिंह की याचिका पर फैसला लेने के आदेश दिए थे. 2 महीने में फैसला लेकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया था.

इसके अलावा यूपी के चीफ सेक्रेटरी को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर सूबे में नियमावली बनाए जाने के भी आदेश दिए गए थे. हाईकोर्ट ने 18 अगस्त के आदेश में कहा था कि लिंग परिवर्तन कराना संवैधानिक अधिकार है. अगर आधुनिक समाज में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान बदलने के इस अधिकार से वंचित किया जाता है, तो वह सिर्फ लिंग पहचान विकार सिंड्रोम कहलाएगा.

जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित है महिला सिपाही

हाईकोर्ट ने कहा है कि कभी-कभी ऐसी समस्या बेहद घातक हो सकती है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति विकार, चिंता, अवसाद, नकारात्मक छवि और किसी की यौन शारीरिक रचना के प्रति नापसंदगी से पीड़ित हो सकता है. यदि इस तरह के संकट को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपाय असफल हो जाते हैं तो सर्जिकल दखलअंदाजी होनी चाहिए.

महिला सिपाही नेहा सिंह की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि वह जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित है, जिससे वह खुद को एक पुरुष के रूप में पहचानती है. वह सेक्स री असाइनमेंट सर्जरी कराना चाहती है. इसके लिए उसने डीजीपी ऑफिस में 11 मार्च को अर्जी दी थी, लेकिन उसकी अर्जी पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में लिंग पहचान को व्यक्ति की गरिमा का अभिन्न अंग माना गया है. अदालत ने कहा था कि यदि यूपी में ऐसा नियम नहीं है तो राज्य को केंद्रीय कानून के मुताबिक अधिनियम बनाना चाहिए.

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