मकर संक्रांति से आरंभ होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन की बैठक संपन्न

डीएम ने 16 जनवरी से जिले के प्रमुख मंदिरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन और सजाने का किया अनुरोध

बलिया। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार की अध्यक्षता में शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद के सभी राम मंदिर, हनुमान मंदिर और वाल्मीकि मंदिर सहित अन्य प्रमुख मंदिरों के महामंत्रियों, अध्यक्षों, पुजारियों, महंतों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन करने, साफ सफाई और मंदिरों को सजाने संबंधित विषय पर बैठक आयोजित की।

जिलाधिकारी ने कहा कि आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश की छवि पूरे विश्व में उजागर होगी। उन्होंने कहा कि बलिया में भी इस प्रकार का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाए, जिससे दूसरे प्रदेश से आने वालों को जनपद में उसकी झलक दिखे। कहा कि 14 जनवरी से सरकारी कार्यालयों एवं मंदिरों में साफ सफाई का कार्यक्रम शुरू होगा और 16 से 22 जनवरी तक जनपद के सभी मंदिरों को सजा कर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाना है।जिलाधिकारी ने सभी मंदिरों के पुजारियों से अनुरोध किया कि आप लोग 16 जनवरी से ही मंदिरों के आसपास की सफाई और उसके सजाने का काम शुरू कर दें। उन्होंने भृगु बालेश्वर और हनुमानगढ़ी मंदिर और मंदिर क्षेत्र को बढ़िया तरीके से सजाया जाए। 22 जनवरी को हनुमानगढ़ी मंदिर परिसर से अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का सजीव प्रसारण किया जाएगा। उन्होंने जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से आए पुजारियों से मंदिर और आसपास के इलाकों की साफ सफाई कर सजाने का अनुरोध किया। कहा कि इस महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोगों की जनसहभागिता बहुत महत्वपूर्ण है।

पुजारियों के अनुरोध पर जिलाधिकारी ने प्रभारी अधिशासी अधिकारी नगर पालिका बलिया आत्रेय मिश्र को निर्देश दिया कि शहर के प्रत्येक मंदिरों के बाहर अलाव की व्यवस्था सुनिश्चित करने और सुबह शाम सफाईकर्मियों की तैनाती कर साफ सफाई बेहतर करने के निर्देश दिए। उन्होंने अपर जिलाधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह को जनपद के प्रवेश द्वार पर दूसरे प्रदेश से आने वाले लोगों को प्राण प्रतिष्ठा की झलक दिखाने के लिए रामायण और रामचरित मानस की चौपाईयों संबंधी होर्डिंग और बैनर लगाने के निर्देश दिए। बैठक में सिटी मजिस्ट्रेट इंद्रकांत द्विवेदी और जनपद के राम मंदिर, हनुमान मंदिर, वाल्मीकि मंदिर और अन्य प्रमुख मंदिरों के महंत, महामंत्री, अध्यक्ष, पुजारी मौजूद रहे।

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