यूपी में योगी के कार्यकाल में कानून व्यवस्था पर एक नजर…

लखनऊ। दो बड़े संकल्प- बदहाल कानून व्यवस्था दुरुस्त करना और उत्तर प्रदेश को आर्थिक मजबूती देकर बीमारू राज्य का ठप्पा हटाना। इसी 25 मार्च को सात साल पूरे करने जा रही योगी सरकार ने इन दोनों ही संकल्पों को पूरी मजबूती से आगे बढ़ाया। बुलडोजर यहां भय नहीं, कानून व्यवस्था का प्रतीक है तो इससे उत्साहित निवेशकों ने भी यूपी को प्राथमिकता दी है और सरकार ने भी जटिलताओं को समाप्त करते हुए उनके लिए लाल कालीन बिछाई।

लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजनीति में कानून-व्यवस्था का मुद्दा हमेशा बड़ा रहा है। चुनाव में राजनीतिक दल हमेशा इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल करते आए हैं। बाहुबल की राजनीति को करीब से देखने वाले उत्तर प्रदेश की बदली सूरत की बात की जाए तो कानून-व्यवस्था ने ही नया आधार तैयार किया है। इसमें बड़ी भूमिका बढ़े बल व संसाधनों के साथ मनोबल की है।

अपराध व अपराधियों के प्रति जीरो टालरेंस की नीति पर पुलिस ने मजबूती से कदम बढ़ाए तो उसके परिणाम भी सामने हैं। बुलडोजर के लिए अलग पहचान बनाने वाले उप्र में अपराधियों के विरुद्ध हुई कार्रवाई का आंकड़ा भी दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बना है। गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराधियों की संपत्ति जब्त करने की शक्ति पहले से थी, लेकिन सात वर्षों में उसका प्रयोग किया गया।

कानून व्यवस्था में बदलाव के सवाल पर पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि सबसे बड़ा काम तो संगठित अपराध पर प्रहार रहा है। माफिया मुख्तार अंसारी को चार दशक बाद सजा हुई। विजय मिश्रा, धनंजय सिंह समेत अन्य माफिया को भी वर्षों बाद सजा हुई। इससे आम लोगों में पुलिस व अभियोजन की कार्रवाई के साथ ही सरकार की जीरो टालरेंस की नीति का बड़ा संदेश गया है। पहले चुनाव के दौरान संगठित गिरोह व चंबल से दस्यु किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने का फरमान जारी करते थे, जो अब इतिहास बनकर रह गया है।

सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी आरकेएस राठौर कहते हैं कि बड़े अपराधियों पर हुई कार्रवाई ने ही सबसे बड़ा संदेश दिया है। हां, अभी थानों व तहसील स्तर पर लोगों की सुनवाई को और प्रभावी व सुलभ बनाए जाने की गुंजाइश है। उससे आम व्यक्ति का सीधा सरोकार होता है। अब दूसरे राज्यों में उप्र की कानून-व्यवस्था की चर्चा होती है, जो वास्तव में यूपी पुलिस के लिए गौरव की बात है।

कानून-व्यवस्था की बदली राह से ही प्रदेश में निवेश के नए द्वार भी खुले हैं। फरवरी 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 40 लाख करोड़ रुपये के एमओयू हुए। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में विदेशी निवेश चार वर्षों में 400 गुणा बढ़ा है। उप्र विशेष सुरक्षा बल का गठन, तीन महिला पीएसी बटालियन का गठन, यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट आफ फारेंसिक साइंसेज की स्थापना भी बड़े कदम रहे हैं।

उप्र पुलिस की आंतरिक स्थिति से बात शुरू की जाए तो सात वर्षों में रिकार्ड 1,55,629 नई भर्तियों तथा 1,41,866 पदोन्नतियों ने बड़ा फर्क डाला है। पुलिस विभाग में आवासीय भवनों के निर्माण व नए थानों ने उसकी मजबूती और बढ़ाई। उप्र पुलिस अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) की मदद से बड़े मौकों पर सुरक्षा के अभेद्य प्रबंध कर रही है।

अयोध्या में श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पुलिस ने सुरक्षा की अग्निपरीक्षा को पारकर कार्यदक्षता साबित की। धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई हो या त्योहारों पर सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की चुनौती। पुलिस ने अपने प्रबंधन की कुशलता साबित की। आंकड़ों की बात जाए तो सात वर्षों में कोई जातीय हिंसा नहीं हुई है।

महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में दोषियों को सजा दिलाने में उप्र पुलिस देश में पहले स्थान पर है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) की पिछली रिपोर्ट के अनुसार महिला संबंधी अपराधों में दोषसिद्धि की दर राष्ट्रीय स्तर पर 25.30 प्रतिशत और उप्र में 70.80 प्रतिशत है। वर्ष 2022 में प्रदेश में विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम के तहत 101 मुकदमे दर्ज हुए, जबकि इनकी सर्वाधिक संख्या जम्मू-कश्मीर में 371, मणिपुर में 167, असम में 133 रही। शेष राज्य कार्रवाई में पीछे रहे।

इन कदमों ने भी बढ़ाई ताकत

  • लखनऊ और कानपुर समेत सात महानगरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू l
  • प्रदेश में सुरक्षा के मद्देनजर लगवाए गए 10 लाख सीसी कैमरे l
  • अपराधियों की एआइ से निगरानी को त्रिनेत्र एप 2.0 की शुरुआत l
  • एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन l
  • भ्रष्टाचार निवारण संगठन की आठ नई इकाइयां बनीं l
  • सभी जिलों में साइबर क्राइम थाने की स्थापना की गई।

इन नए कानूनों ने भी डाला प्रभाव

  • उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम l
  • उप्र लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम l
  • उप्र गो-वध निवारण (संशोधन) अधिनियम-2020

गंभीर अपराध कम हुए
गंभीर अपराधों में वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2023 में डकैती में 87, लूट में 76, अपहरण में 73, बलवा में 65 व हत्या में 43 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।

ढाई गुणा बढ़ी महिला पुलिस
वर्ष 2017 में उप्र पुलिस में 13,842 महिला पुलिसकर्मी थीं, जिनकी वर्तमान में संख्या 33,877 है। महिला पुलिस लगभग ढाई गुणा बढ़ी है।

बजट की ‘बूस्टर डोज’ भी
वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में पुलिस विभाग के लिए 39,550 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि प्रदान की गई। वित्तीय वर्ष 2023-24 से इसकी तुलना की जाए तो इस बार पुलिस विभाग को 2,381 करोड़ रुपये से अधिक की ‘बूस्टर डोज’ दी गई है।

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