बीडीओ विसवां सुमित सिंह के अधीनस्थ प्रधान व सचिव की लापरवाही के चलतेछुट्टा जानवरो से परेशान किसान।

कगजपूर्ती बने आदेश फसलों की खत्म कर
छुट्टा जानवर , जिम्मेदार जवाब देने के स्थान पर काट रहे फोन ।

बिसवां सीतापुर । कृषि प्रधान देश मे आज जिम्मेदारो की लापरवाही के चलते देश का किसान परेशान , परिवार का भरण पोषण करने किसान आज के समय मे जहाँ खेती में दिनरात मेहनत कर रहा है वही रात दिन चौकीदारी करके छुट्टा जानवर से फसलों की बचा रहा है । इस चौकीदारी में कभी कभी किसान घायल हो रहे है , तो कभी कभी जान से जाने की सुर्खियां आती रहती है । लेकिन जारी आदेश के बाद भी जिम्मेदारो को न किसान की जान की परवाह है , न ही दुख दर्द से कोई लेना देना है । जिसके चलते अधीनस्थ ग्राम प्रधान सचिव मनमानी करके मात्र कगजपूर्ती करके अफसरों को सन्तुष्ट करने में प्रयासरत है । बताते चलें कि विसवां तहसील क्षेत्र में छुट्टा जानवरो से परेशान किसानों का रविवार को धौर्य जबाब दे गया।किसानो और ग्रामीणों ने जानवरो को ग्राम पंचायत बेनीपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय जाफराबाद में खदेड कर कर बंद कर दिया। और गेट में ताला डाल दिया । विदित हो कि बीते इधर कई वर्षों से छुट्टा जानवरों से किसानों की फैसले चौपट हो रही है। यह हालात तब है जब किसान दिन रात खेतो मे खड़ी फसल की रखवाली कर रहे है।

वही सरकार ने इन छुट्टा जानवरो को गौशाला मे संरक्षित करने हेतु व्यवस्थाएं तो कई की है। लेकिन उन व्यवस्थाओं से जानवर कम नहीं हुए। और न ही किसानो को कोई खास राहत मिली। छुट्टा जानवरों के झुंड जिन खेतों में चले जाते हैं पूरी फसल चट कर देते हैं। किसान रात दिन मेहनत करके फसल उगाते हैं। एक ही रात में यह जानवर उसे बर्बाद कर रख देते हैं ।इन जानवरों को पकड़ कर बाडो में बंद करने के आदेश विकासखंड के कर्मचारियों को दिया गया है । लेकिन इस पर कोई अमल नहीं है। यही कारण है कि किसान परेशान होकर जानवरों को खदेड़ कर विद्यालय में बंद कर जुम्मेदारों और सरकार को अपनी पीड़ा से अवगत कराने हेतु इस तरह के कदम उठाने को विवश हो रहे है।

इस सम्बन्ध में जब खंड विकास अधिकारी सुमित सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा अभी दिखवाता हूं , फोन काट दिया। वही जब ग्राम प्रधान बेनीपुर से बात की गई। तो उन्होंने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा जानवरो को जब पकड़ कर गौशाला में भेजा जाता है। तो वहां गौशाला के जिम्मेदार जानवरो को नही लेते। खबर लिखे जाने तक विद्यालय में जानवर बंद किसान पहरेदारी कर रहे थे।

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