बैंकिंग चैनल ला रहे समाज के निचले तबके में बड़ी क्रांति…

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरूआत से ही जिस तरह से बैंकिंग चैनलों के जरिए गरीब और समाज के निम्न तबके को वित्तीय मदद पहुंचाने की कई योजनाएं शुरू की हैं उसका असर साफ तौर पर दिख रहा है। पीएम जन धन, पीएम स्वनिधि, मुद्रा, इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम जैसी योजनाएं ना सिर्फ बड़ी आबादी को आर्थिक तौर पर स्वावलंबी बनाने में मदद कर रहा है बल्कि अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में भी एक बड़ी भूमिका निभा रहा है।

यह बात एसबीआई ने मंगलवार (24 अक्टूबर) को जारी अपनी विशेष रिपोर्ट में कही है। रिपोर्ट के मुताबिक, उक्त योजनाओं के तहत बैंकिंग चैनल से पहली बार जोड़े गये इन लोगों की देश में वितरित कुल कर्ज में हिस्सेदारी आठ फीसद है, जबकि बैंकिंग जमा में इनका योगदान चार फीसद का है। यही वजह है कि रिपोर्ट कहती है कि, समाजिक आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे पिछड़े वर्ग में एक क्रांति सी चल रही है जो बैंकिंग सेक्टर में लंबे समय तक ऋण वृद्धि करते रहेंगे।

20 हजार रुपये का कर्ज लेने वालों का अनुपात 68 फीसद
सरकारी स्कीमों के तहत पहली बार जिन लोगों ने कर्ज लिया है वह अब दूसरी बार ले रहे हैं और जिन लोगों ने दो बार लिया है वह तीसरी बार ले रहे हैं। यह बता रहे हैं कि इन स्कीमों के तहत उन्हें जो भी रोजगार या उद्यम स्थापित किया है उसका विस्तार हो रहा है। एक उदाहरण शहरों में रेहड़ी-पटरी लगाने वालों के लिए शुरू की गई पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भरनिधि (पीएम स्वनिधि) का दिया गया है। इसके तहत 10 हजार रुपये के पहले लिये गये कर्ज की राशि को चुका कर दूसरी बार 20 हजार रुपये की राशि बतौर कर्ज लेने वालों का अनुपात 68 फीसद है।

कर्ज लेने वालों में 46 फीसद महिलाएं
वहीं, 20 हजार रुपये की दूसरी कर्ज की राशि को चुका कर तीसरी बार 50 हजार रुपये की राशि कर्ज लेने वालों का अनुपात 75 फीसद है। इसमें 46 फीसद महिलाएं हैं। यह बड़ी संख्या में गरीब महिलाओं को आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बना रहा है। 01 जून, 2020 को लॉन्च की गई इस योजना कर्ज का भुगतान करने वालों को सात फीसद ब्याज सब्सिडी दी जाती है। इसके तहत दिसंबर, 2023 तक 63 लाख स्ट्रीट वेंडरों को कर्ज देना है, जिसमें अभी तक 84 फीसद पूरा हो चुका है।

गरीबी का कोई धर्म, लिंग या जाति नहीं होती- रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, गरीबी का कोई धर्म, लिंग या जाति नहीं होती। उक्त स्कीम में जितने लोगों को लोन दिए गए हैं उसमें से 80 फीसद हिंदू हैं जबकि 14 फीसद प्रमुख अल्पसंख्यक समुदाय(मुस्लिम) के लोगों को दिये गये हैं। छह फीसद दूसरे अल्पसंख्यकों (ईसाइ, सिख, जैन, बौद्ध आदि) को दिए गए हैं। यह भी कहा गया है कि देश के हर वयस्क नागरिक का बैंक खाता खोलने की सरकारी योजना पीएम जन धन योजना का स्वरोजगार के लिए इस्तेमाल करने की पहली स्कीम स्वनिधि थी।

इसकी सफलता को देख और इससे कुछ सीख लेते हुए सरकार को अब इन खाताधारकों को बेहतर तौर पर प्रशिक्षित करने और कारोबार विस्तार के लिए स्कीम की शुरूआत होनी चाहिए।

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