झांसी। ट्रेन से जनरल कोच हटने प्रारम्भ हो गए हैं। आने वाले समय में इनकी संख्या और भी कम हो जाएगी। 130 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन से जनरल कोच कम करने की तैयारी है।
कुछ धीमी गति से चलने वाली पैसेंजर और लोकल ट्रेन को छोड़कर सभी ट्रेन में जल्द ही जनरल कोच की संख्या कम हो जाएगी। इसके साथ ही मेल और एक्सप्रेस ट्रेन से स्लीपर कोच भी कम करने की तैयारी तेज हो गयी है। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत यह निर्णय लिया गया है।
ट्रेन को तेज गति से चलाने की तैयारी में रेलवे लगा हुआ है। इसके लिये ट्रैक के साथ ही कोच पर ध्यान दिया जा रहा है। वर्तमान में झांसी मंडल में ही कई ट्रेन को 130 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से दौड़ाया जा रहा है।
कई मेल व एक्सप्रेस ट्रेन को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से चलाने की रेलवे तैयारी कर रहा है। इन तेज रफ्तार ट्रेन में जनरल कोच कम करने की तैयारी शुरू हो गयी है। कई ट्रेन में कम हो भी गये हैं।
दरअसल, मेल और एक्सप्रेस ट्रेन के 130 किलोमीटर या उससे अधिक की रफ्तार से चलने पर नॉन-एसी कोच तकनीकी समस्याएं पैदा करता है। यही कारण है कि ऐसी ट्रेन से जनरल कोच कम किया जाने लगा है। लम्बी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेन में जनरल कोच कम कर एसी कोच लगाने की तैयारी हो गयी है।
कुछ ट्रेन में यह कोच घटाकर एसी कोच लगा भी दिये गये हैं। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत पटरियों को भी इस तरह से अपग्रेड किया जा रहा है कि उन पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सकें।
जो ट्रेन 130 से लेकर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी उनमें जनरल कोच हटाकर वातानुकूलित कोच लगाए जाएंगे। गैर वातानुकूलित कोच वाली ट्रेन 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती रहेंगी।
कपूरथला में तैयार किए जा रहे स्पेशल कोच
एसी कोच के टिकट यात्री वहन कर सकें, सुविधा व आराम कई गुना अधिक हो जाए और यात्रा के समय में काफी कटौती हो जाए, इस तरह के एसी कोच का प्रोटोटाइप कपूरथला के रेल कोच फैक्टरी में तैयार किया जा रहा है। जल्द ही यह कोच तैयार कर तमाम रेल मंडलों को भेजे जाएंगे। झांसी को भी कई नये कोच जल्द मिलने जा रहे हैं।
नॉन एसी के बराबर होगा एसी कोच का किराया
वर्तमान में 83 बर्थ वाले एसी कोच को डिजाइन किया जा रहा है। इन कोच का मूल्यांकन किया जा रहा है और कोच संचालन से मिलने वाले अनुभव के आधार पर आगे की प्रगति हो रही है। अफसरों के मुताबिक नये एसी कोच सस्ते होंगे और उनकी टिकट दर एसी थ्री और स्लीपर कोच के बीच की होगी।
ट्रेन के संचालन में होगी आसानी
एक समान रैक की संरचना करने के पीछे रेलवे प्रशासन का तर्क है कि ट्रेन के संचालन में आसानी होगी। ट्रेन के रैक को आसानी से बदला जा सकेगा। ट्रेन की संरचना को बदलने में कोच बढ़ाने पड़ते हैं। कभी-कभी कोच नहीं मिलने से दिक्कत बढ़ती है। यात्रियों को दूसरे कोच में यात्रा करनी पड़ती है।
मण्डल से गुजरने वाली कई ट्रेन में लगने वाले जनरल कोच को कम किया गया है। ट्रेन के रैक का मानकीकरण किया जा रहा है। इसके अनुसार रैक का कम्पोजीशन बनाया जा रहा है। रैक के मानकीकरण से रैक के प्रतीक्षा में होने वाले विलम्ब को रोका जा सकेगा। रैक के अनुरक्षण में भी समय कम लगेगा। किसी भी रैक को किसी भी ट्रेन में लगा सकेंगे।
-मनोज कुमार सिंह, जनसम्पर्क अधिकारी।