नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी के साथ ही सीएम पद को छोड़ने के लिए नैतिक दबाव का सामना कर रहे हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज ने भी केजरीवाल को लेकर कहा है कि सार्वजनिक नैतिकता की मांग है कि उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अजय रस्तोगी ने सीएम अरविंद केजरीवाल का जिक्र करते हुए सुझाव दिया है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति के लिए पद पर बने रहना अच्छा नहीं है।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में अयोग्यता के लिए धारा 8-9
जस्टिस रस्तोगी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, “मुझे लगता है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में अयोग्यता के लिए धारा 8 और 9 हैं। यह अयोग्यता, योग्यता की गिनती और अयोग्यता की एक निश्चित अन्य प्रकृति से भी संबंधित है।”
कागज को जेल अधीक्षक के पास से गुजरना पड़ता है
उन्होंने कहा कि दिल्ली जेल नियमों के तहत कई प्रतिबंध हैं और हर कागज को जेल अधीक्षक के पास से गुजरना पड़ता है। जेल अधीक्षक इन कागजों की जांच करते हैं और केवल उनकी परमिशन से ही आप हस्ताक्षर कर सकते हैं। जस्टिस रस्तोगी के मुताबिक सीएम केजरीवाल का जेल से सरकार चलाना आसान नहीं होगा।
समय आ गया है कि व्यक्ति को फैसला करना होगा
जस्टिस रस्तोगी ने कहा, “अगर ये प्रतिबंध हैं जो किसानों ने कानून के तहत लगाए हैं, तो मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि व्यक्ति (केजरीवाल) को फैसला करना होगा कि हिरासत में रहते हुए भी मेरे लिए पद पर बने रहना सही है या नहीं।”
हिरासत में व्यक्ति के लिए पद पर बने रहना अच्छा नहीं
उन्होंने कहा, “आप एक मुख्यमंत्री जैसे बड़े पद पर हैं, जिसका ऑफिस सार्वजनिक कार्यालय होता है। अगर आप हिरासत में हैं तो मुझे लगता है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति के लिए पद पर बने रहना अच्छा नहीं है। सार्वजनिक नैतिकता की मांग है कि पद छोड़ देना चाहिए।”
जयललिता, लालू प्रसाद ने पद से इस्तीफा दिया
उन्होंने आगे कहा, “अगर हम अतीत में देखें तो जयललिता, लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया और हाल ही में हेमंत सोरेन ने भी इस्तीफा दे दिया। कोई हिरासत में बैठे मौजूदा मुख्यमंत्री के पास कोई कागज नहीं ले जा सकता और उनसे हस्ताक्षर नहीं करा सकता।”