नई दिल्ली। भाजपा से टिकट कटने के बाद मौजूदा सांसद वरुण गांधी का पहला रिएक्शन सामने आया है। वरुण गांधी ने बुधवार को एलान करते हुए कहा कि वह पीलीभीत सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
वरुण गांधी ने कहा, ”बिना किसी भेदभाव के अपने निर्वाचन क्षेत्र और उसके लोगों की भलाई और कल्याण के लिए किए गए मेरे सभी ईमानदार योगदानों के बावजूद मेरे साथ क्या हुआ, इसकी मुझे उम्मीद नहीं थी।”
भाजपा के एक प्रवक्ता ने कहा, “जितिन प्रसाद ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया है, जो नामांकन प्रक्रिया के समापन का प्रतीक है।”
1989 से ही पीलीभीत भाजपा सांसद मेनका और फिर वरुण गांधी का गढ़ रहा है, जब उन्होंने जनता दल के बैनर तले इस निर्वाचन क्षेत्र से अपनी पहली लोकसभा जीत हासिल की थी। वह 1991 का चुनाव हार गईं, लेकिन 1996 में उन्होंने फिर से पीलीभीत सीट जीत ली और 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी जीत दर्ज की।
2009 में उन्होंने वरुण गांधी को कमान सौंपी, जो भाजपा के चुनाव चिन्ह पर जीते थे। मेनका गांधी 2009 में सुलतानपुर लोकसभा सीट पर स्थानांतरित हो गईं, 2014 में पीलीभीत लौट आईं और 2019 में वापस सुलतानपुर चली गईं।
1989 के बाद यह पहला चुनाव होगा, जब मेनका गांधी और उनके बेटे पीलीभीत से मैदान में नहीं होंगे।