नई दिल्ली। आबकारी घोटाला चर्चा में है, मगर दिल्ली सरकार में कुछ अन्य घोटाले भी हैं। कुछ ऐसे कार्य भी किए गए जो नियम विरुद्ध थे, ऐसे मामलों की संख्या और भी है। बहरहाल हम कुछ ऐसे मामलों पर डालते हैं फोकस। इनमें ही जासूसी कांड भी शामिल है।
2015 में सत्ता में आने के बाद आप सरकार ने अपने सतर्कता विभाग को मजबूत करने के लिए फीड बैक यूनिट बनाई थी। आरोप है कि इसके माध्यम से राजनीतिक जासूसी कराई गई थी। इस मामले की जांच कर सीबीआई ने एलजी को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा एफबीयू ने कथित तौर पर राजनीतिक खुफिया जानकारी एकत्र की थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि आप सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों और स्वायत्त निकायों, संस्थानों और संस्थाओं के कामकाज के बारे में प्रासंगिक जानकारी और कार्रवाई योग्य प्रतिक्रिया एकत्र करने और ट्रैप केस के लिए 2015 में एफबीयू की स्थापना की थी।
सीबीआई कर रही फीडबैक यूनिट मामले की जांच
इस यूनिट के गोपनीय सेवा व्यय के लिए एक करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया था, यूनिट ने 2016 में काम करना शुरू कर दिया था।मगर 2017 की शुरुआत में इसे भंग कर दिया गया। आरोप है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में एक कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पास किया था, लेकिन कोई एजेंडा नोट प्रसारित नहीं किया गया था। सीबीआई दिल्ली सरकार की फीड बैक यूनिट (एफबीयू) मामले की जांच कर रही है।
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी केजरीवाल सरकार
अस्पतालों में नकली दवाओं व मोहल्ला क्लीनिक में फर्जीवाड़ा भी है जांच के दायरे में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है। इस बीच दिल्ली सरकार के अस्पतालों में खराब गुणवत्ता की दवाओं और मोहल्ला क्लीनिक में फर्जीवाड़े का भी मामला सामने आया था। यह दोनों मामले अभी सीबीआइ के पास पांच के लिए लंबित है।
नकली दवाओं के मामले में सतर्कता निदेशालय द्वारा की गई जांच में 10 प्रतिशत दवाओं की गुणवत्ता खराब गई थीं। जिसे उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने पिछले वर्ष 24 दिसंबर खराब गुणवत्ता की दवाओं की खरीद और आपूर्ति से जुड़े मामले की सतर्कता निदेशालय की सिफारिश पर सीबीआइ जांच की स्वीकृति दी थी।
मोहल्ला क्लीनिकों में इलाज में फर्जीवाड़े से जुड़ा मामला
एक अन्य मामले में मोहल्ला क्लीनिकों में इलाज और जांच में फर्जीवाड़े से जुड़ा है । जिसमें मोहल्ला क्लीनिकों में फर्जी मरीजों के नाम पर जांच कर बिल तैयार करने का आरोप है।
सतर्कता निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर इसी वर्ष जनवरी में उपराज्यपाल ने इस मामले की सीबीआइ जांच की स्वीकृति दी थी। इस मामले में करीब 100 करोड़ रुपये के घपले का आरोप है।
जल बोर्ड घोटाला
दिल्ली जल बोर्ड घोटाला की ईडी जांच कर रही है। इस मामले में उसने मुख्यमंत्री को समन भेजकर 18 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह शामिल नहीं हुए। दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व मुख्य अभियंता पर जगदीश कुमार अरोड़ा पर एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को गलत तरह से 38 करोड़ रुपये का ठेका देने का आरोप है।
यह ठेका इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटर्स की आपूर्ति, स्थापना और परीक्षण के लिए दिया गया था। सीबीआइ द्वारा दर्ज एफआइआर में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली जल बोर्ड और एनबीसीसी के अधिकारियों ने रिश्वत के लिए अवैध रूप से एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर का पक्ष लिया।
ईडी ने इस मामले में आरोप लगाया है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर को टेंडर देने के बाद अरोड़ा को नकद और बैंक खाते में रिश्वत प्राप्त हुई थी। यह पैसा अलग-अलग लोंगो को दिया गया था, जिसमें आप से जुड़े नेता भी शामिल हैं।
एक अन्य मामले में दिल्ली जल बोर्ड 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के काम में भ्रष्टाचार का आरोप है।वर्ष 2022 में दिल्ली जल बोर्ड ने इसके लिए लगभग 1,938 करोड़ रुपये के ठेके दिए थे, जबकि इसकी अनुमानित लागत सिर्फ 1,500 करोड़ रुपये थी।
स्कूल रूम घोटाला
स्कूलों में कमरों के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इसकी शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया है कि पांच लाख में बनने वाले कमरे का काम 33 लाख रुपये में दिया गया।
सतर्कता निदेशक की रिपोर्ट के आधार पर लोकायुक्त इसकी सुनवाई कर रहे हैं। लोकायुक्त ने संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है। स्कूलों में 7180 कमरे बनाने के लिए 999 करोड़ रुपये खर्च किया जाना था।
आरोप है कि मंत्रिमंडल और उपराज्यपाल के पास इसकी फाइल नहीं भेजनी पड़े इसके लिए इस काम को 16 भागों में विभाजित कर मंत्री द्वारा अनुमति दी गई, फिर अधिकारियों ने पूरे काम को 65 भाग में विभाजित कर दिया। उसके बाद कई काम की लागत दोगुना तक बढ़ाकर मनमाने तरीके से अपने पसंद के ठेकेदार को आवंटित कर दिया गया। मुख्यमंत्री आवास औऱ स्कूल में कमरे बनाने का काम एक ही ठेकेदार को दिया गया।
मुख्यमंत्री आवास नवीनीकरण घोटाला
सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के आवास के नवीनीकरण में खर्च हुए 44. 78 करोड़ रुपये में वित्तीय नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। आरोप है कि करोड़ों रुपय के गैर कानूनी खर्च में तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री भी बराबर के साझीदार रहे हैं। लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए कोई भी सार्वजनिक निविदा जारी नहीं की गई।
उन्होंने है कि 10 करोड़ से अधिक की किसी भी योजना की सैद्धांतिक मंजूरी के लिए मुख्य अभियंता के अनुमोदन की जरूरत होती है, लेकिन उस प्रक्रिया से बचने के लिए मुख्यमंत्री आवास के जीर्णोद्धार में 10 करोड़ से कम की कई योजनाएं बनाकर निर्माण कार्य पूरा कराया गया, ताकि योजना की मंजूरी के लिए सचिव और मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारियों तक फाइल भेजी ही न जाएं।
इसीलिए 5 योजनाएं बनाकर 7.92 करोड़ 1.64 करोड़ 9.09 करोड़ 8.68 करो 9.34 करोड़ खर्च कर मुख्यमंत्री आवास का नवीनीकरण किया गया। इस मामले की सीबीआई भी जांच कर रही है।
श्रम विभाग गैर निर्माण श्रमिक पंजीकरण घपला
दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड (डीबीओसीडब्ल्यूडब्ल्यू) के कामकाज में कथित अनियमितताओं की शिकायत 2018 में हुई थी।एलजी वी के सक्सेना द्वारा दिए गए आदेश के बाद इसकी जांच शुरू हुई है।दिल्ली में भवन और अन्य निर्माण गतिविधियों से जुड़े 13,13,309 श्रमिक बोर्ड के साथ पंजीकृत हैं। इनमें 9,07,739 श्रमिक 2018 और 2021 के बीच पंजीकृत हुए हैं।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा 26 सितंबर 2018 को काम करने वाले संगठनों निर्माण मजदूरों की राष्ट्रीय अभियान समिति, दिल्ली निर्माण मजदूर संगठन और सेवा दिल्ली संघ द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद जांच का आदेश दिया गया था।
दिल्ली सरकार के श्रम विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए 2018 और 2021 के बीच पंजीकृत नौ लाख से अधिक श्रमिकों के रिकार्ड की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि 1,11,516 फर्जी प्रविष्टियां हैं।सामान्य मोबाइल नंबर वाले 65,000 कर्मचारी, समान स्थानीय आवासीय पते के साथ 15,747 और एक ही स्थायी पते के साथ 4,370 प्रविष्टियां संदिग्ध हैं।