वाराणसी। मुंबई के सोपारा अंतर्गत नगर नाला निवासी ओम गुप्ता उर्फ मोनू पूर्वांचल में ‘सिंथेटिक ड्रग्स’ कारोबार के लिए जमीन तैयार करने के फिराक में था। उसने चोलापुर के पलहीपट्टी गांव में भी तीन बिस्वा जमीन खरीदी है।
सिंधोरा के भगवतीपुर गांव स्थित प्रदीप प्रजापति के मकान खरीदने के लिए छह लाख एडवांस देने और 10 दिन में रजिस्ट्री कराने की बात पहले ही सामने आ चुकी है। हालांकि, बैनामे से पूर्व ही 16 मार्च को उसे मुंबई की क्राइम ब्रांच और एसटीएफ ने पकड़ लिया। दिलचस्प कि पहले शिवपुर थाना, उसके बाद सिंधोरा थाना की पुलिस इलाके में सिंथेटिक ड्रग्स बनाए जाने से अनजान रही।
… और बनारस में कितने गिरोह सिंथेटिक ड्रग्स बनाने में सक्रिय
वर्ष 2023 में आठ अगस्त को शिवपुर के इंद्रपुरी कालोनी स्थित एक मकान में सिंथेटिक ड्रग्स बनाने का राजफाश एसटीएफ और नारकोटिक्स की टीम ने किया था। मुंबई के गरीब नवाज कोकरी हागल, थाना एण्ट्रोफिल निवासी अकरम चुन्नू खड्डे समेत पांच तस्कर गिरफ्तार हुए थे। 1300 ग्राम सिंथेटिक ड्रग्स (अनुमानित मूल्य 50 लाख रुपये), एक पिस्टल पिस्टल और 40 हजार रुपये बरामद हुए थे।
एसटीएफ का कहना था कि दोनों गिरोह अलग-अलग हैं। शिवपुर में ड्रग्स फैक्ट्री के राजफाश के बाद पुलिस सक्रिय होती तो दूसरी सफलता सिंधोरा पुलिस के हाथ ही लगती। सवाल उठता है कि आखिर बनारस में कितने गिरोह किस रूप में सक्रिय हैं। पूर्वांचल में किस तरह अपना साम्राज्य खड़ा कर रहे हैं।
जौनपुर, भदोही, वाराणसी के तस्कर सक्रिय
मुंबई के तस्करों संग भदोही के थाना सुरियावां अंतर्गत चैगड़ा निवासी आनंद तिवारी, सुरियांवा के ही अरबना निवासी सुशील उपाध्याय, जौनपुर के थाना बरसठी अंतर्गत पाली निवासी संदीप तिवारी, थाना बरसठी के ही महमदपुर पट्टी हुलास निवासी प्रमोद यादव, तिवारीपुर (बड़ागांव) निवासी संतोष गुप्ता उर्फ बल्ली और बड़ागांव के ही पुवारी खुर्द गांव निवासी अतुल सिंह के नाम सामने आए हैं। सभी आरोपित अकूत कमाई के फिराक में रिस्क लिए हैं। एक रात में एक व्यक्ति दो किलो सिंथेटिक ड्रग्स तैयार करता है। दो लाख रुपये प्रति किलो के हिसाब से एक रात में चार लाख रुपये की कमाई होती है।
फार्मा कंपनी की नौकरी छोड़ ड्रग्स बनाने लगा संदीपजौनपुर के पाली निवासी संदीप तिवारी रसायन विज्ञान से स्नातक है। वह फार्मा इंडस्ट्री में नौकरी करता था। अकूत कमाई की चकाचौंध में नौकरी छोड़ महाराष्ट्र का कुख्यात तस्कर बन गया। वर्ष 2018 में मुंबई की एंंटी नारकोटिस्क सेल ने उसे 100 किलोग्राम फेंटाड्रिल नामक नशीले ड्रग्स संग दबोचा था। जेल से छूटा तो गिरोह बनाकर ड्रग्स तस्करी करने लगा। सिलसिलेवार चार गिरफ्तारियों के बाद महाराष्ट्र का कुख्यात ड्रग्स तस्कर बन गया।मुंबई में शिकंजा कसा तो वाराणसी में अपना ठिकाना बनाने लग गया।
पूर्वांचल में भी बिक रही खतरनाक ड्रग्स
खतरनाक सिंथेटिक ड्रग्स के पूर्वांचल में भी बिकने के संकेत हैं। सिगरा पुलिस और नारकोटिक्स टीम ने तीन मार्च को कैंट रेलवे स्टेशन के सामने तस्कर को गिरफ्तार कर ढाई करोड़ रुपये मूल्य की 440 ग्राम मेफेड्रोन (सफेद नशीला पाउडर) बरामद किया था। गिरफ्तार जौनपुर जनपद के थाना मड़ियाहूं अंतर्गत सुबाषपुर निवासी 68 वर्षीय तस्कर प्रेमचन्द्र तिवारी ने बताया कि जौनपुर और आस-पास के शहरों में ड्रग्स बेचता हूं।
सिंथेटिक ड्रग्स के बारे में जानिए
सिंथेटिक ड्रग्स नशीली और दर्द निवारक दवाओं समेत 13 तरह के केमिकल के प्रयोग से तैयार की जाती हैं। इसमें क्लोरोफार्म, हाइड्रोक्लोराइड, सोडियम हाइड्राक्साइड, हाइड्रोक्लोराइड एसिड आदि शामिल हैं। इसे हाईप्राेफाइल सोसाइटी में प्रयोग होता है, नाइजीरियन ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
क्राइम डीसीपी चंद्रकांत मीणा ने कहा कि सिगरा पुलिस ने करोड़ों रुपये के ड्रग्स की बरामदगी की थी। अभी तक की गिरफ्तारियां दूसरे प्रांतों के इनपुट के आधार पर स्थानीय एजेंसियों ने की है। पुलिस और लोकल इंटेलीजेंस टीम निगरानी रख रही है। पूर्व में एनएसए तक की कार्रवाई की जा चुकी है।