नई दिल्ली। ‘नवरोज’ पारसी समुदाय का प्रमुख त्योहार है। इसी दिन से पारसी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। माना जाता है कि नवरोज के दिन रात और दिन की लंबाई लगभग एक समान होती है। पासरी मान्यताओं के मुताबिक, नवरोज प्रकृति को धन्यवाद देने का दिन है। यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मार्च के महीने में पारसी पर्व नवरोज कब मनाया जाएगा।
कब मनाया जाता है नवरोज
दुनियाभर में पारसी नववर्ष साल में 2 बार मनाया जाता है। वहीं, भारत के पारसी नवरोज को शहंशाही पंचांग के मुताबिक मनाया जाता है। ऐसे में 20 मार्च को पारसी समाज का पहला नवरोज मनाया जाएगा। वहीं, 16 अगस्त को दूसरा नवरोज मनाया जाएगा।
क्या है नवरोज का अर्थ
‘नवरोज’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है ‘नव’ और ‘रोज’, जिसमें ‘नव’ का अर्थ होता है ‘नया दिन’ और ‘रोज’ का अर्थ होता है ‘दिन’ ऐसे में नवरोज का फारसी में अर्थ है नया दिन।
कैसे मनाया जाता है यह त्योहार
नवरोज के दिन पारसी समुदाय के लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों को शुभकामनाएं देते हैं और एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं। साथ ही इस दिन एक-दूसरे को तोहफे आदि भी दिए जाते हैं। सबसे पहले इस दिन घर की साफ- सफाई की जाती है और घरों को रंगोली से सजाया जाता है।
इस मौके पर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। साथ ही चंदन की लकड़ियों के टुकड़े को घर में रखा जाता है। पारसी लोग अपने पारंपरिक कपड़े पहनकर नाचते-गाते हैं और इस दिन की खुशी मनाते हैं। अपने देवता की पूजा कर परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।