मेरठ। लोकसभा क्षेत्र से भानु प्रताप सिंह (58) को टिकट देकर सभी को चौंका दिया है। अपनी पार्टी के सभी चेहरों को दरकिनार कर सपा ने राष्ट्रीय जनहित संघर्ष पार्टी के अध्यक्ष के नाम पर विश्वास जताया है। उन्हें सपा-कांग्रेस गठबंधन से सपा के सिंबल पर टिकट दिया है।
लखनऊ में शुक्रवार को सभी स्थानीय दावेदारों व संगठन के नेताओं से वार्ता के बाद सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भानु प्रताप का नाम आने से दावेदार हतप्रभ और निराश भी हैं। स्थानीय नेताओं में से कई ने फोन स्विच आफ कर लिए या फिर फोन से दूरी बना ली।
भानु मूलरूप से बुलंदशहर के निवासी हैं और दिल्ली में रहकर सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं। अनुसूचित जाति के हितों के लिए भी कुछ अभियान दिखाई देते हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से परास्नातक और एलएलबी हैं।
ईवीएम हटाओ अभियान से नजदीकी, 2022 में दिया समर्थन
अपनी स्वयं की राजनीतिक पार्टी चलाने वाले भानु प्रताप 2017 में अपने जिले की विधानसभा सीट सिकंदराबाद से चुनाव लड़ चुके हैं। ईवीएम हटाओ, बैलट पेपर लाओ अभियान चलाते हैं। इसी अभियान से संबंधित सभी गतिविधियों को इंटरनेट मीडिया के सभी अकाउंट पर पोस्ट करते हैं। जब भी वह कोई पोस्ट करते हैं उसमें वह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को टैग करना नहीं भूलते। इसी कारण धीरे-धीरे वह अखिलेश के संपर्क में आए। भानु ने अपनी पार्टी की ओर से 2022 के विधानसभा चुनाव में बिना शर्त समर्थन भी दिया था।
पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर, सरधना विधायक अतुल प्रधान, शहर विधायक रफीक अंसारी, पूर्व विधायक योगेश वर्मा प्रमुख दावेदार थे। शहर विधायक रफीक अंसारी व सरधना विधायक अतुल प्रधान का कहना है कि प्रत्याशी चयन को लेकर कोई विवाद नहीं है। यह पार्टी हाईकमान का निर्णय है और हम सभी को मान्य है।
प्रत्याशी को लेकर तर्क-वितर्क
समाजवादी पार्टी द्वारा मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी की घोषणा किए जाने के साथ ही कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में नाराजगी झलकने लगी है। समाजवादी पार्टी जिला मेरठ के नाम से बने वाट्सएप ग्रुप में पार्टी प्रत्याशी के रूप में भानू प्रताप सिंह का नाम सामने आने पर व्यापारी नेता सैंकी वर्मा ने भानू प्रताप को बाहरी बताते हुए स्थानीय नेताओं को अधिक बड़ा दावेदार बताया। वहीं कई अन्य कार्यकर्ताओं ने तर्क देकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय को सही बताया।