नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा की दूसरी सूची ‘भविष्य’ का भी संकेत दे रही है। यानी ऐसे उम्मीदवारों पर पार्टी कोई दांव नहीं लगाएगी, जिसने दो कार्यकाल के बावजूद खुद के लिए नया वोट वर्ग तैयार नहीं किया। ऐसे उम्मीदवारों से भी परहेज ही रहेगा, जिसके बयानों की सफाई पार्टी को देनी पड़ती है।
195 उम्मीदवारों की पहली सूची में जब सिर्फ 30 मौजूदा सांसदों का टिकट काटा गया था, तब यह कयास लगने शुरू हो गए थे कि इस बार भाजपा पड़े पैमाने पर उम्मीदवारों को नहीं बदलेगी, लेकिन 72 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में 33 मौजूदा सांसदों का टिकट काटकर भाजपा ने साफ कर दिया है उसके लिए उम्मीदवारों की जीतने की क्षमता सबसे अहम है।
सूची में दिखा बड़ा उलटफेर
भाजपा लगभग 450 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और अबतक 267 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। उम्मीदवारों में सबसे बड़ा उलटफेर दिल्ली मे देखने को मिला, जहां सात में छह उम्मीदवार बदल दिए गए और सिर्फ मनोज तिवारी अपनी उम्मीदवारी बचाने में सफल रहे। इसी तरह से हरियाणा में जिन छह उम्मीदवारों की घोषणा हुई है, उनमें तीन नए हैं। महाराष्ट्र में 20 उम्मीदवारों में से 14 को दोबारा टिकट मिला है, जबकि पांच का टिकट काटा गया है।
प्रीतम मुंडे की जगह इस बार उनकी बहन पंकजा मुंडे को उम्मीदवार बनाया गया है। जिस सांसद प्रताप सिम्हा के पास से रंगीन गैस छोड़ने वाले आरोपित लोकसभा के भीतर पहुंचे थे, मैसूर से उनका टिकट भी कट गया है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त के लालकिले से अपने भाषण से खुद को 140 करोड़ देशवासियों के परिवार के सदस्य के रूप में पेश करते रहे हैं।
इसलिए कटा टिकट
भाजपा ने इस बार टिकट बंटवारे में अनावश्यक बयानबाजी करने वाले और दूसरे समुदाय के खिलाफ अनर्गल बातें बोलने वालों को टिकट देने से परहेज किया है। इनमें दिल्ली से प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी और प्रज्ञा ठाकुर का नाम प्रमुख है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने लोकसभा के भीतर महात्मा गांधी के बारे में आपत्तिजनक बाते कहीं थी, तो रमेश बिधूड़ी ने बसपा सासंद दानिश अली के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया था । प्रवेश वर्मा दिल्ली के दंगे के दौरान अपने बयानबाजी को लेकर विवादों में रहे थे। उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर चर्चा हो चुकी है, लेकिन घोषणा सिर्फ 51 की हुई है। माना जा रहा है कि बची हुई सीटों पर बड़े बदलाव दिखेंगे।
इसलिए इन पर खेला दांव
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बहुत सारे सांसदों के विधानसभा का चुनाव लड़ने के कारण स्वाभाविक रूप से उनकी जगह नए चेहरों को उतारा गया तो तेलंगाना में दूसरी पार्टी से आने वालों को ज्यादा तरजीह मिली। तेलंगाना में 17 में से जिन 15 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है, उनमें से 10 बीआरएस व अन्य पार्टियों से पिछले पांच सालों के दौरान भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा के मूल कैडर में इसको लेकर भले ही थोड़ी नाराजगी दिख रही हो, लेकिन जीत की संभावना को देखते हुए भाजपा ने इन पर दांव खेलना उचित समझा।