लहरपुर सीतापुर। महाशिवरात्रि के पवित्र त्यौहार की सभी को हार्दिक बधाई शुभकामनाएं भगवान शिव अति प्राचीन काल से ही हमारे आराध्य रहे हैं, राम कृष्ण ऋषि मुनि योगी संतो ने काल के महाकाल भगवान शिव की पूजा अर्चना करके तपस्या करके ब्रम्हांड के नायक के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा प्रकट की है विराट ब्रह्मांड के स्वरूप को दर्शाता शिवलिंग जिसमें औघड़ दानी का निवास माना जाता है, उसकी पूजा अर्चना करके तमाम राक्षसों ने भी वरदान पाकर इस भूमंडल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराया और अमर हो गए ,हमें भगवान शिव के प्रति पूर्ण विश्वास श्रद्धा रखनी चाहिए कम स्तुति पर प्रसन्न हो जाने वाले शिव की पूजा करते प्रभु राम कहते हैं। मैं पुराण पुरुष शंभू को प्रणाम करता हूं जिनकी असीम सत्ता का कहीं पार या अंत नहीं है सर्वज्ञ शिव को प्रणाम अविनाशी प्रभु रुद्र को नमस्कार करता हूं सब का संघार करने वाले शर्व को मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं
महर्षि वशिष्ठ कहते हैं व्याघ्र चर्म धारी चिता भस्म को लगाने वाले भाल में तृतीय नेत्र धारी मणियों के कुंडल से सुशोभित अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी और दरिद्रता रूपी दुख के विनाशक भगवान शिव को मेरा प्रणाम है
देव गुरु बृहस्पति जी कहते हैं। शिव देव गिरीश महेश विभो आप धन संपत्ति आदि प्रदान करने वाले और कैलाश पर्वत पर शयन करने वाले हैं पार्वती बल्लभ आप सब को सुख देने वाले हैं चंद्रधर आप भक्ति का विघात करने वाले दुष्टों को कठोर दंड देने वाले तीनों लोकों को सुखी बनाइए। बाणासुर कहता है जो देवताओं के सार तत्व स्वरूप और समस्त देवताओं के स्वामी हैं जिनका वर्ण नील और रोहित है जो योगियों के ईश्वर योग के बीज तथा योगियों के गुरु के भी गुरु हैं उन भगवान शिव की मैं वंदना करता हूं। परम ज्ञानी रावण कहता है पत्थर और सुंदर बिछौनो मैं सांप और मुक्ता की माला में बहुमूल्य रत्न तथा मिट्टी के ढेले में मित्र या शत्रु पक्ष में तिनके अथवा कमल लोचना तरुणी में प्रजा और पृथ्वी के महाराज में समान भाव रखता हुआ मैं कब सदाशिव को भजूंगा
ब्रह्मांड के पिता भगवान शिव को शत शत वंदन।