नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की, मन मोहक भजनों के साथ कृष्ण जन्मोत्सव की पावन कथा का रसपान करके श्रोतागण पण्डाल में नाचते हुए झूम उठे
बाराबंकी। जिला मुख्यालय से 22 किमी दूर स्थित ब्लाक सिद्धौर ककी ग्राम सभा बीबीपुर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की पावन कथा का रसपान चिन्मय मिशन से पधारे ब्रहमचारी स्वामी कौशिक चैतन्य जी महाराज ने उमड़े जन सैलाब को संगीतमय लहरी में कराया। ’’नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की, बृज में आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की। मनमोहक भजनों ने आयोजन में समा बाँध दिया और श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध करके थिरकने को विवश कर दिया। जन्मोत्सव की छटा के समय ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो अन्तरिक्ष से देव शक्तियाँ धरा पर उतर आयी हो।
इस अवसर पर अपनी मृदुल वाणी में कथा का रसपान कराते हुए कौशिक चैतन्य जी ने कहा की द्वापर का युग था क्रूर कंस का कठोर शासन था, प्रभु का नाम लेने वालो पर यातनायें होती थी। देव शक्ति व्याकुल हो चुकी थी सम्पूर्ण धरती पर हाहाकार मच गया कंस ने वसुदेव और देवकी को हथकड़ी लगाकर जेल में डाल दिया। सभी देव शक्तियों के आह्वाहन पर भगवान कृष्ण देवकी के आठवें गर्भ के रूप मे मथुरा के कारागार में चतुर्भुज रूप में प्रकट होकर पीड़ित मानवता की रक्षा की।
उन्होंने कहा कि परिवार में अपने बच्चों को संस्कार दीजिए पूत कपूत तो का धन संचय, पूत सपूत तो का धन संचय। आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति की शुद्धता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के परिष्कार का नाम ही अध्यात्म है। व्यक्ति को जीवन में कभी भी गलत लोगों का संगत नहीं करना चाहिए। थोड़े से लाभ, स्वार्थ के कारण लोग गतल संगत कर लेते है। मन में विकार आने के कारण व्यक्ति का पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है। कथाकार श्री कौशिक चैतन्य जी ने भक्त प्रह्लाद की कथा सुनाते हुए कहा हिरण्यकश्यप नाम के दैत्य के घर भक्त प्रह्लाद का जन्म हुआ प्रह्लाद के कृत्यों से हिरण्यकश्यप काफी दुःखी था, गुरूकुल में पढ़ने के लिए भेज दिया मना करने के बाद भी पाठशाला में प्रह्लाद बच्चों को नारायण के नाम का जप कराने लगे। जिससे हिरण्यकश्यप उग्र हो गया उसने प्रह्लाद से कहा तेरा नारायण कहा है उसे बुलाओ। प्रह्लाद ने बताया नारायण कण-कण में व्याप्त है आकाश, पाताल, पृथ्वी, सभी जगह ईश्वर विद्यमान है उस समय खम्भे से नरसिंग के रूप में प्रगट होकर परमात्मा ने हिरण्यकश्यप का वध करके धर्म की रक्षा किया। आचार्य गणों द्वारा प्रस्तुत संगीत ’’नाम है तेरा तारनहारा जाने कब दर्शन होगा। जिसकी रचना इतनी सुन्दर वह कितना सुन्दर होगा’’ सुनकर उपस्थित श्रोताओं ने भाव पूरक गायन किया।
चैतन्य महाराज ने बताया कि व्यक्ति जैसा कार्य करता है तदानुरूप उसको वैसा ही फल मिलता है शरीर छूटने के बाद जब जीव आगे बढ़ता है उसे किये गये पुण्य, पाप का हिसाब किताब ऊपर देना पड़ता है यही जीवन का शासवत सत्य है शुभ और अशुभ दोनों कर्माें का भोग प्राणी को मनुष्य जीवन में ही भोगना पड़ता है। सांयकाल कथा के सुभारम्भ से पूर्व कार्यक्रम के संयोजक संजय सोनी द्वारा सपत्नीक व्यास पीठ समेत श्रीमद् भागवत ग्रन्थ की आरती उतारकर पूजन अर्चन किया। इस अवसर पर भगौती प्रसाद सोनी, विनय सोनी, राजू सोनी, विकास सोनी, अम्बर सोनी, गोपाल सोनी, समेत सम्पूर्ण सोनी परिवार, सैकड़ों ग्रामवासी व कार्यकर्ता गण मौजूद रहे।