के.डी सिंह बाबू की कोठी की नीलामी पर कोर्ट का स्थगन आदेश
बाराबंकी। भारत को हॉकी में ओलंपिक का पहला पदक दिलाने वाले देश के पहले और अंतिम हेल्म्स ट्राफी विजेता पद्मश्री केडी सिंह बाबू की पुश्तैनी कोठी की नीलामी पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। बुधवार को जिला सत्र न्यायालय के कोर्ट नंबर 16 में के.डी सिंह बाबू की पुश्तैनी सम्पत्ति विवाद को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कोठी की नीलामी पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है। नीलामी पर रोक लगने के बाद के.डी सिंह बाबू जन्मशती स्मृति समिति के अध्यक्ष एवं गोरखपुर से एमएलसी सी.पी चन्द, संरक्षक अरविन्द कुमार सिंह गोप, के.डी सिंह बाबू के पुत्र विश्वविजय सिंह, संयोजक राजनाथ शर्मा, पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी सलाउद्दीन किदवई, सामाजिक कार्यकर्ता अजय सिंह गुरूजी, अधिवक्ता हिसाल बारी किदवई, समाजसेवी विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, अताउर्रहमान, अशोक शुक्ला ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने खेल प्रेमियों और कोठी को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग करने वाले समाजसेवियों को राहत देने वाला फैसला बताया है। वहीं समिति के अध्यक्ष एवं एमएलसी सी.पी चन्द ने मुख्यमंत्री से मिलकर पुनः इस प्रकरण में त्वरित कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार खेल और खिलाड़ियों के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।
अभी हाल ही में केन्द्र सरकार ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचन्द के नाम से अर्न्तराष्ट्रीय खेल रत्न पुरस्कार की घोषणा करके एतिहासिक कदम उठाया। हमें उम्मीद है कि जल्द ही जनहित में राज्य सरकार भी के.डी सिंह बाबू की कोठी को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में विकसित करके खेल प्रेमियों तोहफा देगी। बता दें कि नगर के सिविल लाइन स्थित हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी रहे कुंवर दिग्विजय सिंह ‘केडी सिंह’ बाबू की पुश्तैनी कोठी है। इस कोठी से जुड़े प्रकरण में बीते दिनों अतिरिक्त सिविल जज ने 11 मार्च को कोठी की नीलामी की तारीख मुकर्रर की थी। जिसके बाद जनपद के समाजसेवी, जनप्रतिनिधि, अधिवक्ता, प्रबृद्धजन, खिलाड़ी एवं पत्रकार, साहित्यकार व स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर केडी सिंह बाबू की कोठी को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करते हुए खेल संग्राहलय बनाने की मांग की थी।
जिस कोठी में कुंवर दिग्विजय सिंह का जन्म हुआ। जिनके पिता राय बहादुर रघुनाथ सिंह प्रसिद्ध वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और टेनिस दिग्गज खिलाड़ी थे। के.डी सिंह बाबू का परिवार बाराबंकी की गंगा-जमुनी तहज़ीब, साहित्य, इतिहास, संस्कृति और खेल की विरासत का साधक रहा है। उनके बड़े भाई कुंवर राजेंद्र सिंह ने भरत चरित्र नामक एक ग्रंथ लिखा जो बहुत प्रचलित हुआ। वहीं कुंवर दिग्विजय सिंह उर्फ केडी सिंह बाबू और उनके अन्य चार भाई कुंवर भूपेन्द्र सिंह, कुंवर सुखदेव सिंह, कुंवर नरेश सिंह व कुंवर सुरेश सिंह खेल जगत के अद्वितीय और दिग्गज खिलाड़ी थे। के.डी सिंह बाबू ने अपनी कठिन साधना से खेल के क्षेत्र में न केवल कई कीर्तिमान स्थापित किए अपितु आने वाली पीढ़ियों को भी यह अनमोल धरोहर सौंपते रहे। के.डी सिंह बाबू की स्मृतियों को सहेजने और उनकी खेल प्रतिभा को नई पीढ़ी से रूबरू कराने के लिए उनकी पुश्तैनी कोठी को राष्ट्रीय स्मारक बनाने जाने की मांग की जा रही है।