कानपुर। लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी समाजवादी पार्टी की गतिविधियों पर सुस्ती का साया मंडरा रहा है। कांग्रेस कोटे में कानपुर नगर सीट जाने के बाद अब तक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की संयुक्त बैठक भी नहीं हो सकी है, जिसमें चुनावी रणनीति पर विचार किया जा सके।
सपा के हर बूथ पर 10 यूथ की योजना भी ठंडी पड़ रही है। पीडीए बैठकों में भी अब पहले जैसा जोश नहीं रहा। चुनावी कार्यक्रम और लक्ष्य के अभाव में सपा कार्यकर्ता अब कटी पतंग की तरह भटकने को मजबूर हैं।
गठबंधन की चुनावी रणनीति से भले ही सपा और कांग्रेस के नेता लोकसभा चुनाव में जीत के दावे करते नजर आ रहे हैं लेकिन कार्यकर्ता स्तर पर सन्नाटे का माहौल है। कार्यकर्ताओं को पार्टी नेताओं की ओर से कोई कार्यक्रम और आयोजन भी नहीं मिल रहा है। मतदाताओं तक सीधे संपर्क अभियान चला रही सपा की चाल भी धीमी पड़ गई है।
महानगर अध्यक्ष फजल महमूद की ओर से इक्का-दुक्का कोशिशें पीडीए बैठकों की हो रही हैं लेकिन सपा के बड़े नेताओं ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है और घर व कारोबार में व्यस्त हो गए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व भी असमंजस में है। पार्टी की ओर से प्रत्याशी चयन को हरी झंडी नहीं मिलने से यह भी तय नहीं हो रहा है कि सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क किसे करना है। चुनाव की रणनीति क्या होगी ।
सपा महानगर अध्यक्ष फजल महमूद ने कहा- रविवार को पटकापुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक हुई है। दो दिन बाद कांग्रेस की शहर टीम के साथ बैठक की योजना है। इस बैठक में चुनावी तैयारी पर चर्चा करेंगे। कांग्रेस के साथ गठबंधन अत्यंत मजबूती से चुनाव लड़ेगा और जीत भी हासिल करेगा। अब कांग्रेस व सपा की ताकत दोगुणा बढ़ गई है।