नोएडा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में एक बार फिर मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चाएं जोरों पर हैं। विस्तार में पश्चिमी उप्र को भी हिस्सेदारी मिल सकती हैं। भाजपा का अब रालोद के साथ गठबंधन है। योगी सरकार में रालोद कोटे का एक मंत्री बनना तय माना जा रहा है। इसके लिए कई नाम चर्चाओं में हैं। सूत्रों का दावा है कि पश्चिमी उप्र की दो बड़ी जातियां जाट और गुर्जर विधायकों में से कोई एक मंत्री बन सकता है।
जयंत चौधरी लेंगे अंतिम फैसला
हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी लेंगे। जानकारों का कहना है कि पिछले दिनों भाजपा ने जाटों को खासा महत्व दिया है। दूसरी तरफ गुर्जर सरकार और संगठन में जाटों की बराबर हिस्सेदारी मांग रहे हैं। ऐसे में भाजपा रालोद कोटे से योगी सरकार में एक और गुर्जर मंत्री बनाकर उनकी हिस्सेदारी बढ़ा सकती है। इसका लाभ पश्चिमी उप्र ही नहीं एनसीआर की कई सीटों पर मिल सकता है।
दरअसल, खतौली विधान सभा के उप चुनाव में सपा और रालोद गठबंधन ने भाजपा प्रत्याशी को जाट-गुर्जर-मुस्लिम-त्यागी गठजोड़ के कारण हराया था। जंयत चौधरी गठजोड़ को बरकरार रखने के लिए किसी गुर्जर विधायक को योगी मंत्रिमंडल में शामिल करा सकते हैं। रालोद से दो गुर्जर विधायक मीरपुर से चंदन चौहान और खतौली से मदन भैया हैं। इनमें से किसी एक को मंत्री बनाए जाने की चर्चाएं हैं।
राजीव बालियान के नाम की चर्चा
हालांकि, रालोद से राजीव बालियान का नाम भी प्रमुखता से चल रहा है। पश्चिमी उप्र में जाटों की करीब 17 व गुर्जरों की 16 प्रतिशत आबादी है। समूचे प्रदेश की बात करें तो जाट 1.8 व गुर्जर 1.78 प्रतिशत है। पूर्व में कल्याण सिंह व राजनाथ सिंह सरकार में तीन-तीन गुर्जर मंत्री हुकुम सिंह, जयपाल सिंह व नवाब सिं नागर रहे थे। योगी सरकार में गुर्जरों को एक ही मंत्री पद मिला है।
पिछली बार योगी सरकार बनने के ढाई साल बाद अशोक कटारिया को स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया गया था। जबकि मौजूदा मंत्रिमंडल में सिर्फ सोमेंद्र तोमर राज्यमंत्री है। वहीं जाट बिरादरी से एक केबिनेट, एक स्वतंत्र प्रभार व एक राज्यमंत्री है। रालोद कोटे से राजीव बालिया मंत्री बने तो जाट मंत्रियों की संख्या बढ़कर चार हो जाएगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी व उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल भी जाट बिरादरी से है।
गुर्जर को मंत्रिमंडल में मिल सकता है मौका
भाजपा प्रदेश संगठन में भी गुर्जर बिरादरी का प्रतिनिधि नाममात्र का है। गुर्जरों की भाजपा से यहीं नाराजगी रही है कि पार्टी में जो महत्व जाटों को मिलता है, वह गुर्जरों को नहीं मिलता। 1991 के लोकसभा चुनाव में सहारनपुर से नकली सिंह गुर्जर ने बसपा के कांशीराम को चुनाव में हराया था। जाट बिरादरी के इस समय 17 विधायक हैं, जबकि गुर्जर जाति से आठ विधायक हैं। ऐसे में माना जा रहा है संतुलन बनाए रखने के लिए गुर्जर जाति से एक और मंत्री बनाया जा सकता है।
जाट बिरादरी से मंत्री बना तो उनकी संख्या चार हो जाएगी, जबकि गुर्जर जाति से एक ही राज्यमंत्री है। मंत्रिमंडल विस्तार से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर खासा असर पड़ेगा। लोकसभा की 14 सीटों में से जाट और गुर्जर कई सीटों पर निर्णायक स्थिति में हैं। भाजपा जाटों को उप राष्ट्रपति से लेकर प्रदेशध्यक्ष समेत कई पद देकर उन्हें साधने का काम कर चुकी है। सूत्रों का कहना है कि रालोद कोटे से किसी गुर्जर को मंत्री बनवाकर भाजपा पश्चिमी में इस बिरादरी को भी साधने की कोशिश में जुटी है।
राजपूत समाज को भी है हिस्सेदारी न मिलने की कसक
पश्चिमी उप्र के मुरादाबाद, पीलीभींत, बरेली, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, व बुलंदशहर समेत कई जिलों में राजपूत समाज भी बड़ी संख्या में हैं। 2022 के विधान सभा चुनाव में पश्चिमी उप्र के कई जिलों में उतना प्रतिनिधितत्व नहीं मिला, जितना राजपूत समाज मांग रहा था। हालांकि, भाजपा ने पश्चिमी उप्र के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी राजपूत समाज के सतेंद्र सिसोदिया को सौंपी है, लेकिन समाज के लोगों का कहना है कि जितना महत्व जाटों को मिला है, उतना राजपूत समाज को पश्चिमांचल में नहीं मिला। इससे राजपूत समाज में उपेक्षा का आरोप लगाकर लोकसभा चुनाव में भी पश्चिमी उप्र से उचित प्रतिनिधितत्व की मांग उठा रहा है।