नई दिल्ली। कांताजी मंदिर अपनी भव्यता और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यह बांग्लादेश के दिनाजपुर में स्थित एक उत्तर मध्यकालीन हिंदू मंदिर है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1722 में हुआ था। ऐसी मान्यता है कि जो जातक यहां दर्शन के लिए आते उन्हें कभी खाली हाथ वापस नहीं लौटना पड़ता है, क्योंकि यहां उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
मंदिर में अठारहवीं सदी की मिलती है झलक
यह प्राचीन मंदिर उस समय की धरोहर है, जब बांग्लादेश भारत का ही एक हिस्सा था। साथ ही यह राधा-माधव संप्रदाय का मुख्य मंदिर है, जहां अठारहवीं सदी के शिल्प और उनकी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा प्राणनाथ 1704 ने शुरू करवाया था, जो महाराजा रामनाथ के शासनकाल में 1722 में पूर्ण हुआ था। इस मंदिर को कांतानगर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
बेहद खूबसूरत है इसकी शिल्पकारी
इस मंदिर को देखने के लिए आज भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। हालांकि 1897 में आए भूकंप से इसको काफी नुकसान भी हुआ था, बावजूद इसके लोग इसकी खूबसूरती और शिल्पकारी देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। वहीं पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा इसके संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
मंदिर से जुड़ी अन्य बातें
कांताजी मंदिर को बनने में 48 साल लग गए थे। यहां भगवान कृष्ण और देवी राधा की दिव्यता का एहसास होता है। साथ ही महाभारत और रामायण की अद्भुत कहानियों की आकर्षक झलक भी इस मंदिर की शिल्पकारी में देखने को मिलती है। इसके अलावा इस प्राचीन मंदिर में समृद्ध राजसी जीवन की कलाकृतियों के चित्रों भी हैं।