हमीरपुर : पीड़ित द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग में दायर किए गए वाद की सुनवाई करते हुए अध्यक्ष महेश कुमार कुशवाहा व सदस्य स्वर्णलता जायसवाल ने विभाग को बिल रीडिंग के आधार पर निर्णय की तिथि से 30 दिन के अंदर तैयार करके परिवादी द्वारा जमा धनराशि को समायोजित करते हुए परिवादी को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
विकासखंड सुमेरपुर के पचखुरा गांव निवासी आशाराम ने आयोग में दायर किए गए वाद में बताया कि जनवरी 2020 में उसके द्वारा बिजली कनेक्शन कराया गया था। जिसके बाद से उसके यहां कोई रीडिंग लेने नही आया। एक वर्ष तक उसे कोई बिल प्राप्त नही हुआ तो उसने 10 मार्च 2021 को उपखंड अधिकारी सुमेरपुर को प्रार्थना पत्र दिया। जिस पर उसे बताया गया कि उसका मीटर अभिलेख में फीट नही है। जिसके कारण बिल नही मिल रहा है। इसके बाद भी उसे कोई बिल उपलब्ध नही कराए गए। 30 जून 2022 को 2,70,000 रुपये बिल बकाया होने की बात कहते हुए कनेक्शन काट दिया गया। इस संबंध में उसने विभाग में आवेदन भी दिया। जिस पर 600 रुपये विद्युत संयोजन शुल्क व जीएसटी जमा करने पर उसका कनेक्शन कर दिया गया। लेकिन बिल सही करने की बात कहने पर बाद में आने को कहा गया।
बीती 11 अगस्त 2022 को वह पुन:अधिशाषी अभियंता विद्युत वितरण निगम कार्यालय पहुंचा तो उससे 12,462 रुपये जमा करने के लिए कहा गया। जिस पर उसने रुपये जमा कर दिए। जुलाई में फिर 2,71,727 रुपये का बिल दिया गया। जिससे परेशान होकर वादी ने वाद दायर किया। जिसकी सुनवाई करते हुए आयोग ने बिजली विभाग को आदेशित किया कि मीटर लगाने की स्वीकृति 7 मार्च 2020 को मीटर रीडिंग शून्य के आधार पर उक्त तिथि से अब तक के बिल रीडिंग के आधार पर निर्णय की तिथि से 30 दिन के अंदर तैयार करके परिवादी द्वारा जमा धनराशि को समायोजित करते हुए परिवादी को उपलब्ध कराएं। जिसे नियमानुसार भुगतान किए जाने का दायित्व परिवादी का होगा। जब कि 7 मार्च 2020 से पूर्व किन्ही भी विद्युत देयों का भुगतान करने का दायित्व परिवादी का नही है एवं ऐसे देय व बिल निरस्त किए जाते हैं।