बरेली: जमीनों को अवैध कब्जों से बचाने और मुक्त कराने के लिए चाहे जितने नियम-कानून बन जाएं। सरकारी स्तर पर कितने ही दावे किए जाएं, लेकिन रसूखदारों के आगे पूरी व्यवस्था बौनी नजर आती है। इनके लिए कोर्ट का आदेश भी कोई मायने नहीं रखता।
मामला आंवला के किसानों की जमीन पर इफको के कब्जे से जुड़ा है। इफको ने किसानों की कई बीघा जमीन पर सालों से अवैध कब्जा कर रखा है। हाईकोर्ट किसानों के पक्ष में फैसला सुना चुका है, लेकिन प्रशासन किसानों को उनकी जमीन दिलाना तो दूर इफको के अधिकारियों के दबाव में इससे संबंधित जानकारी तक नहीं जुटा रहा। इफको प्रबंधन और प्रशासनिक अधिकारी हाईकोर्ट के आदेश को एक महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी दरकिनार कर मनमानी पर उतारू हैं।
भमोरा क्षेत्र के गांव नौगवां अहिरान के राम रहीश, रामदास, रामनिवास, रामवीर, धर्मवीर, भंवरपाल के मुताबिक उनकी जमीन गाटा संख्या 234 रकबा 0.089 ग्राम चकरपुर रामनगर में है। इस पर इफको की आंवला इकाई ने अवैध कब्जा कर रखा है।
सेंधा गांव के ओमशंकर सक्सेना का भी यही आरोप है कि खसरा संख्या 237 के रकबा 0.3040 पर कई साल से इफको का अवैध कब्जा है। नौगवां के वेदराम सिंह, सूरजपाल सिंह, ओमपाल सिंह, इस्लामाबाद के हिरान, वीरेन्द्र सिंह यादव की खसरा संख्या 51 रकबा 0.0760, धनपाल सिंह, सुखपाल सिंह, बालिस्टर सिंह, मैना देवी, बताशो देवी के खसरा संख्या 90 रकबा 0.4470, हरपाल, योगेंद्र सिंह, मनोज कुमार, फिरोज मोहम्मद, मोनिश आदि किसानों की जमीन भी इफको के कब्जे में है।
हाईकोर्ट ने 17 जनवरी 2024 को इस संबंध में किसानों के पक्ष में फैसलाकर एसडीएम को कार्रवाई का आदेश दिया लेकिन अब तक इस आदेश का पालन नहीं हुआ। किसानों का कहना कि वे कई साल से अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। एसडीएम के अलावा जिलाधिकारी से भी शिकायत की गई, लेकिन उनकी जमीन इफको के कब्जे से मुक्त नहीं कराई जा सकी है। इस संबंध में इफको के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक राकेश पुरी से बात करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।
1984 में शुरू हुआ इफको सयंत्र का निर्माण
इफको सयंत्र का निर्माण वर्ष 1984 में शुरू हुआ था। सयंत्र व टाउनशिप निर्माण और रेलवे लाइन बिछाने के लिए करीब 1279 एकड जमीन ली गई। इसमें करीब 496 एकड़ भूमि वनविभाग की, करीब 310 एकड़ भूमि सयंत्र के समीपवर्ती ग्राम सभाओं की और शेष जमीन 851 किसान परिवारों की है।