मथुरा। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने बुधवार को यहां कहा कि भारत ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की शक्तिपीठ’ है, जो संवैधानिक पंथनिरपेक्षता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सशक्त संकल्प के साथ ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के सफर की स्वाभाविक समृद्धि सुनिश्चित कर रहा है।
नक़वी ने आज मथुरा में संस्कृति विश्वविद्यालय में बृज साहित्योत्सव के अवसर पर कहा कि भारत दुनिया का अकेला देश है जहां विश्व के सभी धर्मावलम्बी के साथ-साथ किसी भी धर्म को न मानने वाले भी संयुक्त रूप से सांस्कृतिक संस्कार, संकल्प के साथ रहते हैं, फल फूल रहें हैं। साथ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से हम अपनी सांस्कृतिक, संवैधानिक प्रतिबद्धता और पहचान को पुख्ता कर अपने समाजिक मूल्यों, धार्मिक विश्वासों, सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित तथा समृद्ध रखते हुए आगे बढ़ रहें हैं।
नक़वी ने कहा कि कुछ विदेशी आक्रमणकारियों के क्रिमिनल, कम्युनल, क्रूर करतूत को भी इसी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की संकल्प शक्ति से ठीक किया जा रहा है। नक़वी ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बिना संवैधानिक पंथनिरपेक्षता अधूरी है, हमारी भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, राजनैतिक प्रतिबद्धता का मिश्रित पैमाना सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और संवैधानिक संकल्प है।
नकवी ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विविधता और ऐतिहासिक समृद्धि के साथ भौगोलिक भिन्नताओं को एक सूत्र में पिरो कर अनेकता में एकता का सशक्त संदेशवाहक है, संस्कृति विश्वविद्यालय के साहित्योत्सव जैसे आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पहचान को पुख्ता करते हैं। इस अवसर पर ब्रज कला केंद्र के चेयरमैन विष्णु गोयल, मशहूर लेखक-कवि अशोक चक्रधर, संस्कृति विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. सचिन गुप्ता, कवियत्री भावना तिवारी एवं बड़ी संख्या में कला, साहित्य, शिक्षा क्षेत्र के गणमान्य लोग मौजूद थे।