गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से छह-सात वर्षों में ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस पूरी तरह नियंत्रित हो चुका है। इसके उन्मूलन की बस घोषणा बाकी है। इंसेफेलाइटिस नियंत्रण देश-दुनिया का सफलतम मॉडल है, लेकिन यह इतना आसान नहीं था। वर्ष 2017 में नियंत्रण के उपाय शुरू करने पर उन्हें मीडिया ट्रायल भी झेलना पड़ा था। गरीबों को साबुन बांटा तो हंसी उड़ाई गई, लेकिन जब कोरोना काल आया तो बात उन सबको समझ में आ गई..।
सीएम योगी, बृहस्पतिवार को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 करोड़ की लागत से बनने वाले नए अकादमिक भवन के शिलान्यास व सोलर एनर्जी प्लांट के उद्घाटन के बाद सेमिनार हाॅल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। सीएम योगी ने कहा कि 1977-78 से लेकर 2017 तक इंसेफेलाइटिस को समाप्त करने के बारे में सरकारें सोचती तक नहीं थीं। 2017 में मुख्यमंत्री बनने पर इसके उन्मूलन के बारे में मॉडल तैयार करने पर विचार किया। इसी सिलसिले में कुशीनगर जिले के मुसहरों के बीच जाकर स्वच्छता अभियान चलाया।
उन्हें स्वच्छता के तरीके समझाए और साबुन के प्रयोग की जानकारी दी। तब उनके खिलाफ तीन दिन मीडिया ट्रायल चला। मीडिया में हंसी उड़ाई गई कि एक मुख्यमंत्री, गरीबों को साबुन बांट रहे हैं। जब कोरोना काल आया तो ट्रायल करने वाले मीडिया के साथियों को भी साबुन और स्वच्छता की बात समझ में आई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छता पर ध्यान कई बीमारियों का समाधान है। इसे इंसेफेलाइटिस समाप्त करने की दिशा में मिशन मोड में बढ़ाया गया तो परिणाम सामने आया। वर्ष 1997-98 से 2017 तक बीमारी का चरम भी देखा गया और आज समाप्त होते भी देख रहे हैं।
काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं बीआरडी मेडिकल कॉलेज ने
सीएम योगी ने कहा कि मेडिकल कॉलेज ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक वक्त ऐसा भी था जब यह मेडिकल कॉलेज पूर्वी यूपी में स्वास्थ्य का एकमात्र बड़ा केंद्र हुआ करता था और वह भी संसाधनों के अभाव से जूझता था। डॉक्टर थे, न पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ और न ही अन्य कार्यों के लिए जरूरी मानव संसाधन। मेडिकल कॉलेज पर 1997-98 में मान्यता का संकट आया था। तब अतिरिक्त प्रयास करने पड़े थे। एमसीआई ने 1998-99 में एक बार फिर से मान्यता को एक प्रकार से वापस ले लिया था। तब वह तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री को लेकर दिल्ली गए थे, शपथ पत्र दिलवाया था कि हम यहां की आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। तब कहा था कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज इस पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का बैकबोन है। जो हजारों मौतें इंसेफेलाइटिस से होती हैं, इनको नियंत्रित कर पाना कठिन हो जाएगा। उस समय डॉक्टर अपने स्तर पर प्रयास करते थे, लेकिन संसाधन काफी कम थे। एक-एक बेड पर चार मरीज लिटाए जाते थे। पीडिया वार्ड का टॉयलेट चोक था। सुधार के लिए सांसद के रूप में सरकार से अपील की, संसद में आवाज उठाई।
2017 के बाद यहां आए बदलाव की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब यहां बाल रोग संस्थान प्रारंभ हो चुका है। पीडिया वार्ड सुसज्जित और इंफ्रास्ट्रक्चर से संपन्न हो गया है। इसी परिसर में रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर भी क्रियाशील हो चुका है। सुपर स्पेशियलिटी का ब्लॉक बन चुका है। एक समय सीट आधी हो गई थी, मान्यता पर संकट था। जबकि आज बढ़ी हुई सीट के लिए सरकार स्वयं आपके पास आकर इंफ्रास्ट्रक्चर दे रही है।
बीआरडी की प्रतिस्पर्धा एम्स गोरखपुर से
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज की प्रतिस्पर्धा अब किसी मेडिकल कॉलेज से नहीं, बल्कि एम्स गोरखपुर से है। क्वालिटी दोनों की समानांतर चल रही है। थोड़ा प्रयास करेंगे तो एसजीपीजीआई लखनऊ और एम्स दिल्ली की तरह ही बीआरडी मेडिकल कॉलेज और एम्स गोरखपुर एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। इसके लिए दोनों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान होना चाहिए।
धैर्य और अध्ययन से निकालना होगा समाधान
सीएम योगी ने चिकित्सा शिक्षकों और चिकित्सा शिक्षा के विद्यार्थियों से आग्रह करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में उन पर कार्य की अधिकता का भार हो सकता है, लेकिन धैर्य खोए बिना काम करिए। तभी अच्छा चिकित्सक बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर मरीज की अपनी एक हिस्ट्री, फैमिली बैकग्राउंड, आर्थिक, सामाजिक भौगोलिक परिस्थितियां होती हैं। उन पर अध्ययन करेंगे तो मेडिकल क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला पाएंगे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ बिहार और नेपाल तराई के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं। अध्ययन से इन सबकी पृष्ठभूमि को समझने में मदद मिलेगी। धैर्य और अध्ययन से समाधान के रास्ते निकलेंगे।
2070 तक देश पूरी तरह क्लीन एंड ग्रीन एनर्जी की तरफ जाएगा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि क्लीन एंड ग्रीन एनर्जी भविष्य की आवश्यकता है। 2017 में जब उनकी सरकार बनी थी, तब केंद्र सरकार का अनुसरण कर सरकार ने प्रदेश में बिना रुपये खर्च किए 16 लाख स्ट्रीट लाइट लगवा दी गई है। इससे बिजली भी बच रही है और कार्बन उत्सर्जन भी कम हो रहा है। सरकार ने पॉलिसी बनाई है कि सोलर पैनल लगाने वाले से उसके उपयोग के बाद बची बिजली खरीद कर उसे इसके रुपये दे दिए जाएंगे। उन्होंने रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज द्वारा ली गई लीड की सराहना की। सीएम योगी ने कहा कि पीएम मोदी का विजन है कि 2070 तक देश पूरी तरह क्लीन एंड ग्रीन एनर्जी की तरफ जाएगा। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक मेगावाट क्षमता के जिस सोलर रूफटॉप प्लांट का लोकार्पण आज किया है, उस पर करीब पांच करोड़ रुपये की लागत आई है। इससे मेडिकल कालेज के विद्युत व्यय में प्रति वर्ष 72 लाख रुपये की बचत होगी।