नई दिल्ली। अपनी मांगों को मनवाने के लिए मंगलवार को दिल्ली कूच पर निकले किसानों ने पंजाब-हरियाणा के शंभू बार्डर पर बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बल और तीन बार आंसू गैस के गोलों का प्रयोग किया। करीब आठ घंटे के पुलिस से टकराव के बाद शाम सात बजे किसानों ने बुधवार को दिल्ली कूच करने की घोषणा की।
इससे पहले हजारों की संख्या में हरियाणा की सीमाओं पर पहुंचे किसानों पर हरियाणा पुलिस ने मंगलवार को दो जगह ड्रोन और गन के जरिये आंसू गैस के गोले छोड़कर हरियाणा में घुसने से रोक दिया।
वहीं, किसानों के रुख को देखते हुए पटियाला में शंभू बैरियर से राजपुरा तक, फतेहगढ़ साहिब में जिला मुख्यालय पर और संगरूर के खनौरी क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। पंजाब पुलिस दिल्ली जाने वाले किसानों को रोक नहीं रही है, लेकिन राज्य का माहौल खराब न हो इसके लिए 70 प्रतिशत अधिकारियों और कर्मचारियों को फील्ड में रहने के आदेश सरकार ने दिए हैं।
11 बजे से शुरू हुआ टकराव
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) व भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के नेतृत्व में शंभू बार्डर के पास घग्गर नदी के पुल पर पहुंचे किसानों ने दोपहर करीब बारह बजे वहां बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की। जिस पर हरियाणा पुलिस व सीआरपीएफ के जवानों ने आंसू गैस के गोले दागे। इसके बाद किसान और समर्थक एक बार फिर से घग्गर पुल के पास जुटे। वहां से पुलिस ने उन्हें हटाने के लिए फिर आंसू गैस के गोले छोड़े।
उधर, संगरूर स्थित खनौरी बार्डर पर करीब 1,500 ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर पहुंचे किसानों की हरियाणा पुलिस से झड़प हुई। पुलिस ने पानी की बौछारें और आंसू गोले चलाकर किसानों को पीछे किया।
छह माह की तैयारी के साथ आए
शंभू बार्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि हम छह माह के राशन और डीजल के साथ दिल्ली कूच कर रहे हैं। एक ट्रैक्टर के साथ दो-दो ट्रालियां हैं, जिनमें सिलेंडर, राशन, लकड़ी और अन्य सामान हैं।
क्या है किसानों की मांग?
- सभी 23 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी।
- सभी फसलों का भाव स्वामीनाथन आयोग के अनुसार लागत से 50 प्रतिशत अधिक दिया जाए।
- किसानों पर चढ़े कर्ज को माफ किया जाए।
- किसानों के लिए दस हजार रुपये प्रति महीने की पेंशन लागू की जाए।
- बिजली संशोधन बिल-2022 को रद किया जाए।
- लखीमपुर खीरी में घायल हुए किसानों को उचित मुआवजा और आरोपितों को सजा मिले।
- कृषि सुधार कानूनों को लेकर चले आंदोलन के कारण जिन किसानों पर केस दर्ज हुए हैं, उन्हें रद किया जाए।
- कृषि आंदोलन के दौरान मारे गए स्वजन को उचित मुआवजा दिया जाए। परिवार में से किसी एक को नौकरी दी जाए।
इन पर पेंच फंसा
- सभी 23 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी और किसानों की कर्जमाफी।
दिल्ली की सीमा पूरी तरह सील
सोमवार देर रात जैसे ही दिल्ली पुलिस को चंडीगढ़ में होने वाली किसानों की वार्ता विफल होने व किसान नेताओं द्वारा मंगलवार सुबह दिल्ली कूच करने का एलान करने की सूचना मिली तभी से दिल्ली की सभी सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी गई। सिंघु, टीकरी, झाड़ौदा व ढांसा बार्डर को पूरी तरह से सील कर दिया गया। अन्य सीमाओं पर बैरिके¨डग कर आवागमन के लिए सिर्फ एक लेन को खुला रखा गया है।
इससे दिल्ली से एनसीआर के शहरों में आने-जाने वाले वाहन चालकों को घंटों जाम में फंसना पड़ा। दिल्ली जाने के लिए लोग एक सीमा से दूसरी सीमा के घंटों चक्कर काटते रहे। साथ ही पंजाब व हरियाणा से आने वाली सभी ट्रेनों की पुरानी व नई दिल्ली रेलवे स्टेशनों पर गहन जांच की गई। बस अड्डों पर भी बसों की गहन जांच की गई, लेकिन अभी कहीं से किसी किसान के दिल्ली आने का पता नहीं चल पाया।