नई दिल्ली। माइक्रो और स्माल एंटरप्राइजेज (एसएमई) को 45 दिनों के भीतर भुगतान करने की अनिवार्यता से कारोबारी इन दिनों पंजीकृत एसएमई से कारोबार करने से कतराने लगे हैं। इसकी मुख्य वजह है कि एसएमई से खरीदारी करने के बाद अगर कोई एंटरप्राइजेज उन्हें 45 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करता है तो खरीदारी की राशि उनकी आय में जुड़ जाएगी और उस पर उन्हें 30 प्रतिशत तक का टैक्स देना पड़ सकता है।
हालांकि खरीदारी का भुगतान करने के बाद अगले सल के रिटर्न में वे उस राशि को अपने खर्च में दिखाकर टैक्स का रिफंड ले सकते हैं। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पिछले साल फरवरी में पेश बजट में माइक्रो व स्माल एंटरप्राइजेज की भुगतान समस्या को दूर करने के लिए सरकारी घोषणा के मुताबिक आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 43 बी में संशोधन करते हुए इसमें क्लाज एच को जोड़ दिया दिया गया था।
सेक्शन 43बी (एच) के मुताबिक भुगतान में देरी पर कारोबारी उस राशि को अपने खर्च में नहीं दिखा सकेंगे और वह राशि उनकी आय मानी जाएगी।
टेक्सटाइल सेक्टर के उद्यमियों ने तो पिछले सप्ताह इस नियम में बदलाव को लेकर केंद्रीय एमएसएमई मंत्री से मुलाकात भी की है। एसएमई से माल खरीदने वालों में सभी एमएसएमई भी शामिल होते हैं, इसलिए इस नियम से सभी पंजीकृत एसएमई प्रभावित हो रहे हैं। अब वे इस नियम पर रोक चाहते हैं या भुगतान के समय को 45 दिनों से बढ़ाकर 90 दिन तक करने की मांग कर रहे हैं।
भुगतान को खर्च में दिखाकर रिफंड ले सकेंगे उद्यमी
चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) व कर विशेषज्ञ प्रवीण शर्मा ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 31 मार्च को खत्म हो रहा है। ऐसे में, 45 दिनों के हिसाब से माइक्रो व स्माल एंटरप्राइजेज से 14 फरवरी तक की सभी खरीदारी का भुगतान कारोबारी या अन्य किसी भी उद्यमी को 31 मार्च के पहले करना होगा। ऐसा नहीं करने पर उनकी खरीदारी वाली रकम आय में जुड़ जाएगी और फिर उस पर दिए गए टैक्स का रिफंड और उस राशि को अपने खर्च में दिखाने के लिए के लिए उन्हें एक वित्त वर्ष का इंतजार करना होगा।
एमएसएमई वालों के लिए ही 45 दिनों के भुगतान की अनिवार्यता का नियम लागू
उन्होंने बताया कि एमएसएमई एक्ट के तहत पंजीकृत माइक्रो व स्माल इंटप्राइजेज वालों के लिए ही 45 दिनों के भुगतान की अनिवार्यता का नियम लागू है। जो एसएमई पंजीकृत नहीं है उनके लिए यह नियम लागू नहीं होता है। ऐसे में, उद्यमी पंजीकृत एसएमई की जगह गैर पंजीकृत एसएमई के साथ कारोबार करना चाह रहे हैं ताकि 45 दिनों के भीतर भुगतान का कोई दबाव नहीं रहे।
नए नियम से उद्यमियों को बहुत अधिक चिंता नहीं करनी चाहिए: अनिल भारद्वाज
फेडरेशन आफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव, अनिल भारद्वाज ने कहा कि यह नियम माइक्रो व स्माल एंटरप्राइजेज की भुगतान समस्या को दूर करने के लिए लाया गया, क्योंकि बहुत छोटी और छोटी कंपनियों को भुगतान में देरी पर उनकी कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) अटक जाती है।
इससे कई बार उन्हें उत्पादन तक में दिक्कत होने लगती है। हालांकि नए नियम से उद्यमियों को बहुत अधिक चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि बाद में भी खरीदारी का भुगतान कर अगले वित्त वर्ष के दौरान वे उस रकम को अपने खर्च में दिखा सकते हैं और टैक्स भुगतान का रिफंड ले सकते हैं।