नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को आम आदमी पार्टी के पार्षद की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उसने चंडीगढ़ में नए सिरे से मेयर (महापौर) चुनाव की मांग पर कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर सकती है।
भाजपा ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव में जीत हासिल की थी
महापौर पद के उम्मीदवार पार्षद कुलदीप कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने शुक्रवार को इस मामले का उल्लेख करते हुए इसे तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था। भाजपा ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव में जीत हासिल की थी और सभी तीन पदों पर अपना कब्जा बरकरार रखा था।
चुनावी नतीजा कांग्रेस-आप गठबंधन के लिए बड़ा झटका रहा। कांग्रेस और आप ने 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में अपने गठबंधन की आसान जीत की भविष्यवाणी की थी और इसे लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के लिए प्रारंभिक परीक्षा के रूप में पेश किया था।
मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ की गई
बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा के जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस हर्ष बांगड़ की पीठ ने आम आदमी पार्टी को अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया था। आप ने आरोप लगाया था कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नहीं हुआ। मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ की गई और नतीजे भाजपा के पक्ष में निकाले गए।
याचिका में मेयर चुनाव की प्रक्रिया को रद करने, चुनाव से जुड़ा पूरा रिकार्ड सील करने, मेयर के पद्भार संभालने पर रोक लगाने, पूरी चुनावी प्रक्रिया में हुई धांधली की जांच कराने और नए सिरे से हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में चुनाव करवाने का निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 26 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी थी
इस पर हाई कोर्ट ने किसी भी प्रकार का कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया। हालांकि उसने चंडीगढ़ प्रशासन, नगर निगम, पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह और नवनिर्वाचित महापौर मनोज सोनकर समेत अन्य को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 26 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी थी। आप पार्षद कुमार ने अंतरिम राहत देने से इन्कार करने और याचिका को तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने के खिलाफ शीर्ष कोर्ट में अपील दायर की थी।
आप-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी को 12 मत मिले
बता दें कि हाई कोर्ट के निर्देश पर बीते मंगलवार को हुए मेयर चुनाव में भाजपा के पक्ष में 16 मत पड़े, जबकि आप-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी को 12 मत मिले। आठ मत रद हो गए। आरोप है कि गठबंधन प्रत्याशी को पड़े मत रद किए गए। उल्लेखनीय है कि सदन में आप व कांग्रेस के 20 पार्षद हैं, जबकि भाजपा के 14 पार्षद हैं और एक सांसद का मत है। शिरोमणि अकाली दल के एक पार्षद ने भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया।