नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत अगले पांच वर्षों में छतविहीन दो करोड़ और परिवारों को पक्के आवास और शहरों में अपने ठिकाने के लिए भंवर में फंसे मध्यम वर्ग के लिए नई आवासीय योजना पर आगे बढ़ने का एलान कर केंद्र सरकार ने आम चुनाव के पहले शहरों और गांवों की बड़ी आबादी को अपनी ओर आकर्षित किया है।
झुग्गी-झोपड़ियों से मिलेगी आजादी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शहरों में किराए पर रह रहे लोगों के साथ ही झुग्गी-झोपड़ियों में गुजर-बसर करने वालों की पीठ पर यह एलान करते हुए हाथ रखा कि उन्हें अपना घर हासिल करने में पूरी मदद दी जाएगी। इस योजना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही कर चुके हैं, जिसके लिए नियम-कायदे तय किए जा रहे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अंतरिम बजट भाषण के बाद वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने संकेत दिए कि यह कम ब्याज दर वाले लोन पर आधारित योजना हो सकती है। शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी पिछले माह कह चुके हैं कि जैसे ही इस योजना की नियम-शर्तें तय हो जाती हैं, इसके क्रियान्वयन में किसी तरह की देरी नहीं होगी।
सीतारमण ने अंतरिम बजट में कहा कि समावेशी विकास के अपने संकल्प की पूर्ति के लिए मोदी सरकार ने सभी आश्रयहीनों को आवास उपलब्ध कराने के लिए पूरा जोर लगाया है। इसी कड़ी के तहत मोदी सरकार किराए के घरों में रह रहे मध्यम आय वर्ग के लोगों, झुग्गी, चाल या अन्य अनधिकृत कालोनियों में किसी तरह गुजर-बसर कर रही आबादी को अपना घर खरीदने या बनाने के लिए योजना शुरू करने जा रही है।
माना जा रहा है कि शहरों में चल रही पीएम आवास योजना के घटक सीएलएसएस यानी क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम जैसे कार्यक्रम के जरिये इस योजना का क्रियान्वयन किया जा सकता है। इसके तहत साढ़े तीन से साढ़े छह प्रतिशत तक की ब्याज सब्सिडी के जरिये लाभार्थी को सहायता दी जाती है।
पीएस आवास योजना (ग्रामीण) पर क्रियान्वयन थमा नहीं
सीतारमण ने यह भी रेखांकित किया कि कोविड की चुनौती के बावजूद पीएस आवास योजना (ग्रामीण) पर क्रियान्वयन थमा नहीं। इस योजना में तीन करोड़ लोगों को घर देने का लक्ष्य पूरा ही होने वाला है। अगले पांच वर्षों में दो करोड़ घर और बनाए जाएंगे।
इसके सहारे पक्के घर की आकांक्षा वाले परिवारों की बढ़ी हुई संख्या को भी इस योजना में कवर किया जा सकेगा। सबको आवास के संकल्प के साथ पीएम आवास योजना (ग्रामीण) की शुरुआत एक अप्रैल, 2016 को की गई थी ताकि गांवों में रहने वाली निर्धन आबादी को पक्की छत मुहैया कराई जा सके।
कुछ गैरभाजपा शासित राज्यों के ठंडे रुख के बावजूद इस योजना ने पूरे देश में सार्थक सामाजिक-आर्थिक असर डाला है। इसके तहत अब तक 2.95 करोड़ घर या तो उपलब्ध कराए जा चुके हैं या फिर आवंटित होने वाले हैं। योजना में केंद्र और केंद्रशासित क्षेत्रों को एक इकाई मानते हुए सीधे पैसा स्थानांतरित किया जाता है और फिर वे जिलों, ब्लाक या निकायों में मांग के अनुरूप इसका इस्तेमाल करते हैं।
सरकारी डाटा के मुताबिक 2018-19 से 2022-23 के बीच केंद्र सरकार 1,60,853 करोड़ रुपये राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों को दे चुकी है। इस योजना की एक प्रमुख विशेषता यह है कि गांवों में 70 प्रतिशत से अधिक घर पात्र महिलाओं को दिए गए हैं।
पीएम आवास योजना (शहरी) के लिए 23,170 करोड़
वित्त मंत्री पीएम आवास योजना (शहरी) के लिए इस बार 26,170 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह पिछले बार के मुकाबले करीब साढ़े चार प्रतिशत ज्यादा है। पीएम आवास योजना के तहत शहरों में अब तक लगभग 1.20 करोड़ आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं।