मुंबई। समर्थकों की भारी भीड़ के बीच, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा सभी मांगें स्वीकार किए जाने के बाद, मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने अपना उपवास खत्म किया। मनोज ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में अपना उपवास समाप्त किया। इस बीच मुंबई के कुछ हिस्सों में कड़ी सुरक्षा भी देखने को मिली।
40 वर्षीय मनोज ने दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल करने की योजना बनाई थी। साथ ही मांग की कि राज्य सरकार सभी मराठों को शामिल करने के लिए अपनी मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन करें जब तक कि आरक्षण का लाभ पूरे समुदाय के लिए उपलब्ध न हो जाए।
मुख्यमंत्री शिंदे ने की जरांगे की मांगों पर चर्चा
मुख्यमंत्री शिंदे ने जरांगे की मांगों पर चर्चा करने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद, कार्यकर्ता द्वारा उठाई गई चिंताओं को संबोधित करते हुए एक मसौदा अध्यादेश के साथ शुक्रवार देर रात एक प्रतिनिधिमंडल भेजा। प्रतिनिधिमंडल में सामाजिक न्याय विभाग के सचिव सुमंत भांगे, औरंगाबाद संभागीय आयुक्त मधुकर अरंगल, मुख्यमंत्री के निजी सचिव अमोल शिंदे और अन्य शामिल थे।
सरकार के जवाब पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए जारंगे पाटिल ने कहा, ‘मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अच्छा काम किया है। हमारा विरोध अब खत्म हो गया है। हमारा अनुरोध स्वीकार कर लिया गया है। हम उनका पत्र स्वीकार करेंगे। मैं कल (शनिवार) मुख्यमंत्री के हाथों जूस पीऊंगा।’
जश्न मना रहे मराठा आरक्षण कार्यकर्ता
मराठा समुदाय, ओबीसी श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। शुक्रवार को नवी मुंबई के वाशी में नए सिरे से भूख हड़ताल शुरू करने वाले पाटिल ने विशिष्ट मांगों को रेखांकित किया था, जिसमें सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र, किंडरगार्टन से पोस्ट ग्रेजुएट तक मुफ्त शिक्षा और सरकारी नौकरी की भर्तियों में मराठों के लिए सीटों का आरक्षण शामिल था।