पटना। मुख्यमंत्री आवास के समक्ष मंगलवार को सामूहिक आत्मदाह के लिए पेट्रोल लेकर पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण चिकित्सकों को पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसमें एक ग्रामीण चिकित्सक सड़क पर गिर गए और कई लोग उनके ऊपर से गुजर गए, इससे उनका पैर टूट गया।
इसके अलावा 25 अन्य लोग लाठियों की मार से चोटिल हो गए। कई के सिर भी फूटे। इसके बाद पुलिस ग्रामीण चिकित्सक संघ बिहार के संरक्षक प्रियरंजन सिंह, उनकी पत्नी आशा सिंह, संजय कुमार समेत 25 से अधिक लाेगों को गिरफ्तार कर थाने ले गई लेकिन देर रात तक सभी को मुक्त कर दिया गया।
मजिस्ट्रेट एस खान ने बताया कि प्रतिबंधित इलाके में प्रदर्शन कर नियम का उल्लंघन करने के कारण पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। सभी के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।
क्या है मामला
प्रियरंजन सिंह ने बताया कि 2014 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि सभी ग्रामीण चिकित्सकों को स्वास्थ्य मित्र बना कर सरकारी सेवा में समायोजित किया जाएगा। 2016 में इसके लिए परीक्षा ली गई थी।
बहुत से ग्रामीण चिकित्सक लिखित एवं प्रायोगिक परीक्षा में पास हुए लेकिन, अभी तक स्वास्थ्य मित्र के रूप में नियुक्ति नहीं हुई। सात वर्ष के लंबे इंतजार के बाद गत 32 दिन से सभी 38 जिलों के ग्रामीण चिकित्सक गर्दनीबाग धरना दे रहे हैं।
जदयू कार्यालय के सामने कटोरा लेकर भीख मांगी
सरकार की कोई पहल नहीं होने पर ग्रामीण चिकित्सकों ने पहले राजद (RJD) कार्यालय का घेराव किया और बाद में जदयू (JDU) कार्यालय के सामने कटोरा लेकर भीख मांगी। जब-जब स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) से मिलने गए तो उनके शहर से बाहर होने की बात कहकर वापस कर दिया गया।
विवश होकर 23 जनवरी को मुख्यमंत्री आवास के समक्ष सामूहिक आत्मदाह का निर्णय लिया गया। मंगलवार को जब करीब दो सौ ग्रामीण चिकित्सक पेट्रोल लेकर सामूहिक आत्मदाह करने सीएम आवास जा रहे थे तभी चिड़ियाघर गेट नंबर एक के आगे राजभवन के पास पुलिस ने रोक दिया।
इस क्रम में उनसे भिड़ंत हुई और नहीं मानने पर पुलिस ने लाठियां बरसा कर सबको तितर-बितर कर दिया। इसमें रविकांत, पप्पू, प्रवीण किशोर, नवलेश, संजय कुमार शर्मा, संतोष कुमार, रंजीत कुमार, दिनेश समेत 25 लोग चोटिल हुए हैं।