देश भर से श्रीराम मंदिर निर्माण में मिला है योगदान : चंपत राय

अयोध्या । श्रीरामजन्म तीर्थ भूमि ट्रस्ट के महासचिव एवं विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने मंच का संचालन करते हुए अयोध्या में श्रीराम भव्य-नव्य मंदिर निर्माण में मिले देशभर से योगदान की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह से अयोध्या में युगों-युगों तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए तैयार किया गया है।

उन्होंने बताया कि देशभर से स्वर्ण, चांदी समेत बहुत कुछ मिला है। उन्होंने बताया कि एटा के जलेसर से 24 कुंतल का विशाल घंटा स्वेच्छा से भेजा है। गुजरात के दमगर समाज ने विशाल नगाड़ा भेंट किया है। जनकपुर यानि मिथिला सीतामणी बक्सर और रामजी के ननिहाल छत्तीसगढ़ से बड़े थाल ‘भार’ आए हैं। भार का अर्थ संत आदि समझते हैं। भार में अनाज, चौवड़ा, सोना-चांदी, फल, मेवा, वस्त्र हैं। जोधपुर के एक महंत ने छह कुंतल घी बैलगाड़ियों से लाया गया है।

ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि युगों-युगों तक श्रीराम मंदिर के निर्माण की जमीन को मजबूत करने और नींव में मध्यप्रदेश के छतरपुर से गिट्टी आई है। राख रायबरेली से लाई गई है। तेलांगना और कर्नाटक से ग्रेनाइट आया है। मंदिर में राजस्थान के भरतपुर का पत्थर है। सेफद रंग मार्बल राजस्थान के मकराना का है। मंदिर के दरवाजों की लकड़ी महाराष्ट्र के वल्लार शाह की है। उस पर चढ़ा सोना मुम्बई के एक डायमंड के व्यापारी ने भेंट किया है। भगवान की मूर्ति जिस पत्थर से बनी है वह कर्नाटक का है। इसे मैसूर के कारीगर अरूण योगीराज ने बनाई है। यह प्रभु श्रीराम के बाल्यकाल अव्यस्था का स्वरूप है। मंदिर की सीढ़ियों पर दो गज, सिंह, एक जगह हनुमान और गुरूड़ आदि राजस्थान के मूर्तिकार ने ने बनाए हैं। लकड़ी के दरवाजों की नक्काशी का कार्य हैदराबाद के कारीगारों ने किया है। ये सारे कारीगर तमिलनाडु के थे। मार्बल के काम में राणा मार्बल के कारीगरों ने सम्पन्न किया है। भगवान के वस्त्र कपड़े दिल्ली के कारीगर मनीष त्रिपाठी अपने हाथ से अयोध्या में ही तैयार किए हैं। भगवान के आभूषण लखनऊ के एक व्यापारी राजस्थान से बनवाकर लाए हैं। इस दौरान प्रभु श्रीराम का मंदिर भव्य और नव्य बनकर तैयार हुआ है।

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