नई दिल्ली। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर देश में राजनीति भी खूब हो रही है। इस समारोह को बीजेपी और आरएसएस का इवेंट बताते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने 22 जनवरी को अयोध्या जाने से इनकार कर दिया है।
वहीं, जयराम रमेश सरीखे नेता ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर उद्घाटन समारोह को राजनीतिक मुद्दा बना रही है। वहीं, जयराम रमेश ने कहा कि भाजपा धर्म का दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस नेता के इस बयान पर सियासी हलचल मच चुकी है।
कांग्रेस नेता को धर्म की परिभाषा सीखने की जरूरत: वीएचपी नेता
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेता विजय शंकर तिवारी ने गुरुवार को कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश को ‘धर्म की परिभाषा सीखने’ की जरूरत है। जयराम रमेश पहले धर्म की परिभाषा सीख लें फिर कुछ बोलें।
शंकर तिवारी ने आगे कहा, “ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति को धर्म की रक्षा करनी चाहिए और धर्म ही उनकी रक्षा करेगा। जयराम रमेश को धर्म का अर्थ नहीं पता। अगर उन्हें यह समझ में आता तो वह ऐसा बयान नहीं देते।”
जयराम रमेश ने क्या कहा
बता दें कि कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने बुधवार को प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राजनीतिक प्रोजेक्ट बताया है। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान मोकोकचुंग में समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, “हर परिवार के पास एक मंदिर है। मेरे पास भी है वो (भाजपा) भगवान राम का राजनीतिकरण कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “22 जनवरी को होने वाला कार्यक्रम एक राजनीतिक कार्यक्रम है। यह बीजेपी और आरएसएस का राजनीतिक प्रोजेक्ट है। यह ‘धर्म’ का दुरुपयोग है।”
22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएंगे ये नेता
बताते चलें कि कांग्रेस, सीपएम, टीएमसी, सीपीएम जैसे दलों ने राम मंदिर उद्घाटन में शामिल न होने का फैसला कर लिया है। वहीं आरजेडी नेता लालू यादव ने भी इस समारोह से दूरी बना ली है। एनसीपी नेता शरद पवार का कहना है कि मैं 22 जनवरी के बाद जब राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा तो मैं अयोध्या जाऊंगा।