- मड़ियांव थानाक्षेत्र में सट्टा और जुआ का कारोबार चरम पर, क्षेत्र में कई जगह चल रहे हैं सट्टे की पर्चियां और जुआ के फड़
निष्पक्ष प्रतिदिन,लखनऊ
कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से मड़ियांव थाना क्षेत्र में पुलिस के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है।मड़ियांव इन दिनों सटोरियों का हेडक्वार्टर बन चुका है। क्राइम की दुनिया में लोगों को उतारने वाला सट्टा एवं जुआ खूब फलफूल रहा है।मड़ियाँव थाने के सामने स्थित पुल के नीचे रेलवे लाइन के किनारे परवेज द्वारा किसी लकी तिवारी नाम के व्यक्ति के लिए सट्टा खिलवाए जाने के आरोप है।मड़ियांव थाने के सामने सहित क्षेत्र के कई स्थानों पर यह धंधा पुलिस की सरपरस्ती पर चल रहा है। इस धंधे में युवा पीढ़ी के अलावा बच्चे भी अपना भाग्य अजमा रहे हैं। इससे क्षेत्रीय लोगों में स्थानीय पुलिस के प्रति भारी आक्रोश व्याप्त है।सूत्रों के मुताबिक मड़ियांव थाना क्षेत्र में कई स्थानों पर गत कई माह से खुलेआम जुआ के फड़ सज रहे हैं। इसके अलावा कुछ जगह पर चोरी चुपके सट्टे की पर्चियां भी बनने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।जिसकी लिखित शिकायत मंगलवार को आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी यूपी को राजधानी लखनऊ में पुलिस की शह पर खुलेआम सट्टा खिलाए जाने की लिखित शिकायत भेजी है।उन्होंने अपनी शिकायत के साथ से कुछ मिनट का एक वीडियो भेजा है जिसमें कई लोग सट्टा खेलते दिख रहे हैं।
बता दें कि मड़ियांव थाना क्षेत्र में जगह जगह चल रहे सट्टा कारोबार पर रोक नहीं लग पा रही है। पुलिस कार्रवाई के नाम पर जब तब सटोरियों के खिलाफ धरपकड़ अभियान चलाती है। लेकिन कुछ ही समय तक शांत होने के बाद यह अवैध कारोबार फिर शुरू हो जाता है। पुलिस की निगाह में भले ही सट्टा कारोबार बंद हो लेकिन हकीकत यह है कि मड़ियांव थाना क्षेत्र के विभिन्न मुहल्लों तक फैल चुका है। बिषबेल की तरह फैल चुके सट्टे और जल्द अमीर बनने की चाहत में गरीब और मजदूरी पेशा वर्ग बर्बाद हो रहे हैं। यहां तक कि बच्चे और महिलाएं भी अब सट्टा लगा रहे हैं। जानकार लोगों का मानना है कि पुलिस से सेटिंग के चलते और सट्टे में लिप्त लोगों के पकड़े जाने पर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई न होना भी इस पर रोक न लगने की एक बड़ी वजह है। बहरहाल वजह चाहे कुछ भी हो, लेकिन मड़ियांव थाना क्षेत्र में सट्टे का कारोबार बदस्तूर जारी है।इन धंधों में युवाओं से लेकर महिलाएं बच्चे एवं बुजुर्ग भी इस जाल में फंसते जा रहे हैं। जिसकी वजह से तमाम परिवारों में हर रोज कलह के हालात बन गये हैं। पुलिस भी इन सभी जगह पर होने वाले इन सट्टा एवं जुआ को बखूबी जानती है। लेकिन राजनीतिक संरक्षण सहित आर्थिक समझौते के बाद पुलिस प्रशासन ने भी आंखें फेर ली है। इन असामाजिक धंधों के चलते गांव एवं मुहल्लों के संभ्रांत नागरिकों को भारी परेशानी हो रही है। जिससे लोगों में स्थानीय पुलिस के प्रति भारी आक्रोश है।