राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यक्रम मे पूर्व सांसद के पुत्र को नसीब न हुआ मंच और चंद कदम दूर स्थित सपा पुरोधा की मूर्ति को न नसीब हुई एक भी माला
बाराबंकी। मंगलवार को तहसील सिरौलीगौसपुर के बदोसराय कस्बे मे आये सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कार्यक्रम मे दलित समुदाय के लोगों को काफी अपमान झेलना पड़ा। एक पूर्व सांसद के पुत्र और उनकी पुत्र वधू को मंच पर चढ़ने तक नही दिया गया। काफी जद्दोजहद के बाद पूर्व सांसद की पुत्र वधू तो मंच पर पहुंच गयी लेकिन उनके पुत्र मंच के नीचे ही खड़े रहने को मजबूर रहे। एक तरफ जहां उन्होंने स्व. अशर्फी लाल यादव की मूर्ति पर फूल माला चढ़ाई। वहीं चंद कदमों दूर बदोसराय कस्बे मे स्थित स्व. रामसेवक यादव की मूर्ति पर माला चढ़ाने की जहमत न तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उठाई और न ही सपा के जिले के दिग्गज नेताओं ने ही मूर्ति स्थल पर जाना मुनासिब समझा। जबकि इसी चौराहे से राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित सैकड़ो सपा नेताओं का काफिला गुजरा।
मंच पर तो स्व. रामसेवक यादव का नाम अपने उद्बोधन मे सभी लोगों ने लिया लेकिन चौराहे पर स्थित उनकी मूर्ति स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करना किसी ने जरूरी नही समझा। जानकारी के अनुसार विधानसभा रामनगर के सपा विधायक फरीद महफूज किदवाई ने स्व. अशर्फी लाल यादव को श्रद्धांजलि देने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को बुलाया था। जब जनपद के सपा कार्यकर्ताओं को इस बात की जानकारी हुई तो 16 जनवरी को बदोसराय कस्बे मे अखिलेश यादव आ रहे हैं तो उनके कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सपा के दिग्गजों ने रात दिन एक कर दिया। सपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उक्त कार्यक्रम को पार्टी कार्यक्रम न मानकर रामनगर विधायक का निजी कार्यक्रम मान करके पहले कार्यक्रम से किनारा करने की कोशिश की। उन्होंने जनपद के समर्थकों को कार्यक्रम मे आने के लिए कहा तक नही।
वहीं दूसरी तरफ आगामी लोकसभा चुनाव मे पिछले कई महीनों से लगातार मेहनत कर रहीं जिले के पूर्व सांसद की पुत्र वधू और उनके पति ने लोकसभा चुनाव के लिए टिकट की दावेदारी प्रस्तुत की है और राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने अपना जलवा दिखाने के लिए दोनों लोगों ने पूरे जनपद मे अपने समर्थकों को कार्यक्रम मे आने के लिए घर घर जाकर आमंत्रित किया था। दोनों लोगों की मेहनत के कारण ही हजारों की संख्या मे उनके समर्थक कार्यक्रम स्थल पहुंचे थे। लेकिन कार्यक्रम स्थल पर बने मंच पर पहुंचने के लिए पूर्व सांसद की पुत्र वधू और उनके पति को काफी पापड़ बेलने पड़े। आयोजन कर्ताओं ने मंच पर इन लोगों के लिए कोई स्थान नही बनाया था। काफी देर तक पूर्व सांसद की पुत्र वधू अपने पति के साथ मे मंच के नीचे खड़ी रहीं जब स्थानीय पत्रकारों की नजर उन दोनों पर पड़ी जिसके बाद मंच पर मौजूद आयोजन कर्ताओं ने पूर्व सांसद की पुत्र वधू को तो ऊपर बुलाया लेकिन पूर्व सांसद के पुत्र मंच के नीचे ही दर्शक बन करके सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के दर्शन करने को मजबूर रहे। सपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इन दलित नेताओं की अनदेखी के कारण ही दलितों मे आक्रोश व्याप्त हो गया है। सपा के दलित कार्यकर्ताओं का कहना था कि जनपद की लोकसभा सीट दलितों के लिए आरक्षित है और जिले मे दलित मतदाता ही निर्णायक हैं।
दलितों का वोट तो पार्टी के नेताओं को चाहिए लेकिन उनका सम्मान करना पार्टी के नेता नही जानते। कुल मिलाकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान मे रखते हुए कार्यकर्ताओं मे जोश तो भर गये लेकिन उनके जोश के कारण जिले के वरिष्ठ नेता दलितों का सम्मान करना भूल गये वहीं दूसरी तरफ बदोसराय कस्बे मे मुख्य चौराहे पर स्थित सपा पुरोधा स्व. रामसेवक यादव की मूर्ति पर माला चढ़ाने को भूल गये। बदोसराय कस्बे मे इस बात की चर्चा भी पूरे क्षेत्र मे जोरों से हो रही है। स्थानीय कस्बा वासियों का कहना है कि मंच पर तो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक ने अपने उद्बोधन मे स्व. रामसेवक यादव को याद किया लेकिन कारों का काफिला निकल गया और सपा पुरोधा की मूर्ति मे धूल का गुबार उड़ा गये। कुल मिलाकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने इस कार्यक्रम को पूरी तरह से सफल बना दिया। लेकिन अपने पीछे कई विवादों को छोड़ गये।