हमीरपुर : राममंदिर निर्माण को लेकर चलाए गए आंदोलन में आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद द्वारा गठित की गई टीम शिलापूजन ने के दौरान लाठियां खाई थीं और अपना खून बहाया था। आज जब राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है तो उन सभी के चेहरे में खुशी दिखाई दे रही है। जिन्होंने इस आंदोलन के लिए पुलिस की लाठी खाई और अपना खून बहाया। उन कारसेवकों का कहना है कि भले ही उस समय राम मंदिर निर्माण के लिए हमने लाठी खाई हों, खून बहाया हो।
लेकिन आज पूरा देश प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित नजर आ रहा है और उन्हें भी इस प्राण प्रतिष्ठा से सुकून मिला है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष विजय द्विवेदी एडवोकेट ने राम मंदिर आंदोलन की यादें ताजा करते हुए बताया कि विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष प्रेमनारायण अग्रवाल, लक्ष्मीशंकर द्विवेदी, जिला प्रचारक पुस्कल सिंह, भवानी सिंह गौतम, भगवती नायक, अशोका पालीवाल समेत कुल 11 लोगों की टीम थी। वर्ष 1989-90 में सुभाष बाजार में अयोध्या से लाई गई शिलाओं के पूजन के बाद निकाले गए जुलूस में कजियाना मुहल्ले में पुलिस ने लाठीचार्ज किया। जिसमें उनके अलावा अन्य कई लोग भी घायल हुए थे और खून बहा था। जब शहर में शिलापूजन का जुलूस निकला तो कजियाना के बाद अस्पताल के पास लाठीचार्ज हुआ था। स्थित कर्फ्यू लगने जैसी हो गई थी। हालात यह थे कि टीम के सभी लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज रही थी। इसके बाद भी राममंदिर निर्माण का जोश किसी में कम नहीं हुआ। गुपचुप तरीके से पत्रक वितरित कर राममंदिर की अलख जगाई गई और आज हर किसी के चेहरे में खुशी दिखाई दे रही है। विजय द्विवेदी ने बताया कि इस आंदोलन के बाद पुलिस ने आंदोलनकारी करीब 26 लोगों को गिरफ्तार कर बांदा जेल भेज दिया था। जहां पर सभी लोगों ने करीब तीन माह तक बांदा जेल में सजा काटी। लेकिन उन दिनों का संघर्ष आज रंग लाया है और अयोध्या में रामलला विराजने वाले हैं।