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विक्की कौशल बड़े किस्मत वाले हैं. इस फिल्म में एक सीन आता है जिसे देखकर यही लगता है. नहीं फिल्म में विक्की का कोई कैमियो नहीं है. तो ऐसा क्यों है….पूरा रिव्यू पढ़िए पता चलेगा. अच्छी फिल्म के लिए बड़ा बजट, बड़े सेट, महंगे कपड़े नहीं चाहिए होते. ये बात इस फिल्म को देखकर पता चलती है. एक रात की कहानी…न बड़ा सेट… न बार बार हीरो हीरोइन के कपड़े बदले लेकिन मजा आया और लगा ये होती है थ्रिलर.
कहानी
ऐसी फिल्मों की कहानी ही उनकी जान होती है और वो बताना नाइंसाफी है. थोड़ी से जान लीजिए, क्रिसमस की रात है. कैटरीना अपनी छोटी से बच्ची के साथ सेलिब्रेट करने निकलीं हैं. विजय सेतुपति 7 साल बाद क्रिसमस के दिन शहर आए हैं और अकेले जश्न मनाने निकले हैं. एक मर्डर होता है..किसका होता है…किसने किया…फिर कहानी मैं संजय कपूर आते हैं. विनय पाठक भी आते हैं और इसके आगे जानने के लिए थिएटर जाइए.
कैसी है फिल्म
ये एक जबरदस्त थ्रिलर है. ओपनिंग शॉट ही कमाल है. 2 मिक्सर में कुछ पीसा जा रहा है. कई सारे मसाले डाले जा रहे हैं और फिल्म में भी ऐसा है. पहले सीन से फिल्म आपको बांध लेती है. लगता है कि कुछ तो दिलचस्प हो रहा है और आगे क्या होगा इसका कोई अंदाजा नहीं लगता. कमाल के वन लाइनर आते हैं. आपको हंसी आती है लेकिन ह्यूमर को जबरदस्ती नहीं डाला गया. सिचुएशन और डायलॉग के जरिए डाला गया है और इसी में मज़ा आता है. इंटरवल कब हो जाता है पता ही नहीं लगता. इंटरवल के बाद भी ट्विस्ट एंड टर्न आते हैं लेकिन सेकंड हाफ थोड़ा लंबा लगता है. जांच के सीन थोड़े छोटे हो सकते थे. लेकिन फिल्म आपको चौंकाती रहती है और यही एक थ्रिलर फिल्म की खासियत होती है.