मसौली,बाराबंकी। गुरुवार को विकास खंड मसौली की ग्राम पंचायत ज्योरी स्थित दुर्गा मंदिर पर चल रही साप्ताहिक श्रीराम कथा में कथा व्यास कुलदीप मृदुलांश ने भगवान श्रीराम द्वारा अहिल्या उद्धार कथा का बखान किया। भगवान श्री राम और लक्ष्मण को बचपन में ही अपने यज्ञों की रक्षा करने के लिए गुरू विश्वामित्र राजा दशरथ से मांग लेते हैं।गुरू विश्वामित्र जब ये प्रस्ताव राजा दशरथ के पास लेकर गए तो राजा दशरथ अपने पुत्र राम और लक्ष्मण को उन्हें देने के लिए मना कर रहे थे।लेकिन गुरू विश्वामित्र ने पूरी अयोध्या को जलाने का चेतावनी दी, जिसके बाद गुरू वशिष्ट के समझाने के बाद राजा दशरथ राम और लक्ष्मण को विश्वामित्र से शिक्षा लेने और यज्ञों की रक्षा करने के लिए दे देते हैं।भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर विश्वामित्र जंगल – जंगल टहल रहे थे और उन्हें वनों के बारे में जानकारी दे रहे थे. इस दौरान गुरू एक रास्ते में पहुंचे और फिर प्रभु श्री राम से प्रश्न किए।
गुरू ने कहा कि इससे आगे जाने के लिए दो रास्ते हैं एक तीन पहर का है एक एक पहर का है, लेकिन एक पहर में ताड़का नाम की एक राक्षसी रहती है. जिससे पार पाना काफी मुश्किल काम है।भगवान राम एक पहर वाले रास्ते का सुझाव देते हैं. इसके बाद प्रभु राम ने ताड़का नाम की राक्षसी का वध भी किया. कहा जाता है कि इससे प्रसन्न हो कर गुरू विश्वामित्र ने इसी स्थान पर राम लक्ष्मण को धनुर्विद्या सिखाई थी।आगे बढ़ते हुए जब प्रभु श्री राम मिथिला पहुंचे तो उन्होंने अहिल्या का उद्धार किया. जो गौतम ऋषि के श्राप की वजह से शिला बन गई थी।गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या काफी ज्यादा सुंदर थी। जिनकी सुंदरता का बखान देवलोक में भी होता था।इसे सुनकर देवराज इंद्र गौतम ऋषि का रुप रखकर उनकी कुटिया में पहुंच जाते हैं।लेकिन देवी अहिल्या उन्हें पहचान जाती है और भगा देती हैं, मगर कुटिया ने निकलते हुए गौतम ऋषि को इंद्र दिख जाते हैं।इससे क्रोधित होकर गौतम ऋषि अहिल्या को श्राप दे देते हैं जिसकी वजह से वो पत्थर बन जाती है।जनकपुर में जब भगवान उस कुटिया के पास पहुंचते हैं तब अहिल्या का उद्धार करते हैं।इस मौके पर शिवकुमार गुप्ता महाराज नैनामऊ धर्मेन्द्र गुप्ता पवन वर्मा राकेश कुमार रावत अरविंद वर्मा मुन्ना गुप्ता राजकुमार गुप्ता आदि भक्त मौजूद रहे ।