भारत में वंदे भारत ट्रेन दौड़ रही हैं और जल्द ही बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी है। रेलवे की इस उपलब्धि के साथ ही देश का एक शहर ऐसा भी है जहां पहुंचकर रेल की पटरी खत्म हो जाती है। यहां ट्रेन आती है तो वापसी में उल्टी दिशा से इंजन ट्रेन को लेकर जाता है। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर संभल की।
देश के तमाम शहरों में रेलवे लाइनों का विस्तार और रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण हुआ। लेकिन एशिया की बड़ी मैंथा मंडी के रूप में जाना जाने वाला ऐतिहासिक शहर संभल इससे अछूता रह गया। एक जमाने में पृथ्वीराज चौहान की राजधानी रहा संभल ऐसा शहर है जहां पहुंचकर रेल की पटरी खत्म हो जाती है। ऐसे में पुराने जमाने से ही संभल में रेल के उल्टे इंजन को लेकर किस्से कहावत दूर तक लोग सुनाते हैं। जब कोयले के इंजन वाली ट्रेन का संचालन होता था तब इंजन को घुमा कर उसकी दिशा बदलने के लिए रेलवे का एक चक्र सिस्टम लगा था। इंजन को उस पर चढ़ाकर चक्र को घुमा कर इंजन की दिशा बदल दी जाती थी। यह सिस्टम खराब हुआ तो फिर संभल से रेल का इंजन उल्टी दिशा से ही ट्रेन को वापस लेकर जाने लगा।
देश की आजादी के बाद संभल का हातिम सराय रेलवे स्टेशन ट्रेनों की आवाजाही के बीच यात्रियों से भरा रहता था। पांच ट्रेनों का संचालन सुबह से रात तक होता था। इसके बाद रेलवे ने एक-एक कर चार ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया। दो दशक पहले संभल से नजीबाबाद तक जाने वाली एकमात्र पैसेंजर ट्रेन भी बंद कर दी गई। ट्रेन संचालन के लिए आवाज उठी तो रेलवे ने संभल से मुरादाबाद के बीच एक डिब्बे वाली रेल बस का झुनझुना थमा दिया। रेल बस कभी आती थी तो कभी रास्ते में ही खराब हो जाती थी। रेल बस नहीं चली तो संभल से मुरादाबाद के बीच डीएमयू ट्रेन का संचालन शुरू किया गया। हालांकि यह प्रयोग भी कारगर नहीं हुआ।
करोड़ों की लागत से बना दी इलेक्ट्रिक लाइन,नहीं हुआ ट्रेन का संचालन
संभल। भले ही ट्रेन का संचालन नहीं लेकिन संभल तब रेलवे लाइन का आधुनिकीकरण कर इलेक्ट्रिक रेल लाइन बना दी गई है। जब रेलवे लाइन का विद्युतीकरण किया जा रहा था तब संभल के लोगों को लगा था कि अब पटरी तक ट्रेनें दौड़नी शुरू होंगी लेकिन पटरी बिछाने के बाद रेलवे भूल गया। हालात यह हैं कि अब भी संभल से मुरादाबाद के बीच केवल एक डीएमयू ट्रेन का संचालन होता है जिसका इंजन सीएनजी से चलता है।