नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद कतर की अपीलीय अदालत ने ये फैसला दिया, जिसमें सजा कम कर दी गई हैं। कतर में भारतीय राजदूत और अन्य अधिकारी उपस्थित थे, जिन्होंने परिवार के सदस्यों के साथ अदालत में अपील की।
हम शुरुआत से ही पूर्व सैनिकों के साथ खड़े हैं
कतर में दहरा ग्लोबल मामले में मिली मौत की सजा पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम मामले की शुरुआत से ही पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के साथ खड़े हैं और हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस मामले को कतर के अधिकारियों के साथ भी उठाना जारी रखेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण, इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।
भारत सरकार ने दायर की थी अपील
बता दें कि इन पूर्व सैनिकों को बचाने के लिए भारत सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। इसके लिए सरकार ने कतर की एक दूसरी अदालत में पूर्व नौसैनिकों को मिली मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। जासूसी के कथित मामले में गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की एक अदालत ने अक्टूबर में मौत की सजा दी थी।
इजरायल के लिए जासूसी करने का लगा था आरोप
कतर ने आठों नौसैनिकों पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया था। कतर की सुरक्षा एजेंसी ने सभी को 30 अगस्त को गिरफ्तार किया था। ये सभी भारतीय नौसेना से रिटायर थे और दोहा में अल-दहरा कंपनी के लिए काम करते थे। सभी पर आरोप लगा था कि ये इजरायल के लिए कतर की सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी चुरा रहे थे।