नई दिल्ली। पूरे देश में चल रहे क्लीन टॉयलेट चैलेंज में शहरों और स्थानीय निकायों ने अपने अभिनव प्रयोगों से सभी का ध्यान खींचा है। शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन के तहत लॉन्च किए गए इस चैलेंज के तहत फेसेस (फंक्शनल, एक्सेसिबल, क्लीन, इको फ्रेंडली और सेफ) के मापदंडों के आधार पर अनुकरणीय मॉडल शौचालयों की पहचान करने के लिए सभी शहरों, निकायों, स्वयं सहायता समूहों और निजी संचालकों से नामांकन मांगे गए थे। यह चैलेंज पांच सप्ताह के सफर के बाद सोमवार को समाप्त हो रहा है।
ग्रेडिंग प्रणाली तैयार
इसी के तहत टॉयलेटों की ग्रेडिंग प्रणाली भी तैयार की गई है। ग्रेडिंग सफाई, स्वच्छता, रख-रखाव, कार्यक्षमता, लोगों तक पहुंच, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं का आकलन करने के लिए की गई है। शहरों और स्थानीय निकायों ने इस अभियान के प्रति रुचि दिखाई है। इस दौरान स्वच्छता अभियान और शौचालयों के नवीनीकरण के अलावा कुछ स्मार्ट शौचालय मॉडल भी सामने आए हैं।
गोरखपुर में एक संस्था ने राप्ती नाम से एक प्रशासन सुविधा का निर्माण किया है। इसी तरह लुधियाना में कम ऊर्जा खर्च करने वाले एक ऐसे शौचालय का निर्माण किया गया है, जो सौर पैनल से संचालित है। नवी मुंबई में शौचालय मॉडल इस्तेमाल हो चुकी चीजों से बनाया गया है, जो वेस्ट टू वेल्थ के नजरिये को आगे बढ़ाता है। इसका संचालन और रख-रखाव भी नए तौर-तरीकों से किया जा रहा है। इन शौचालयों में रीसाइकिल्ड और ट्रीट किए हुए पानी का उपयोग किया जाएगा।