नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो चुकी है। तब से हंगामे का दौर जारी है। सदनों में हंगामे और व्यवधान डालने के आरोप में विपक्ष के 143 सांसदों को शेष शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया है। विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेता लगातार इस कदम का विरोध कर रहे हैं। सांसदों के निलंबन को लेकर कांग्रेस नेता शशिर थरूर ने केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हमारे देश में संसदीय लोकतंत्र के लिए शोक संदेश लिखना शुरू करने का समय आ गया है।
संसद भवन से विजय चौक तक मार्च
शशि थरूर विपक्षी सांसदों के निलंबन के विरोध में संसद भवन से विजय चौक तक निकाले जाने वाले मार्च में शामिल हुए थे। दरअसल, 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में चूक की घटना को लेकर विपक्ष मोदी के खिलाफ सरकार आक्रमक दिखाई दे रहा है। विपक्ष की मांग है कि सुरक्षा की चूक मामले में सदन में चर्चा की जाए और गृह मंत्री अमित शाह घटना पर जवाब दें। जिसको लेकर संसद की कार्यवाही के दौरान विपक्ष सदन में हंगामा कर रहा है।
जिसकी जिम्मेदारी संसद चलाना
निलंबित लोकसभा सदस्य थरूर ने कहा, ‘संदेश बहुत सरल है, संसदीय लोकतंत्र में हम ऐसी स्थिति देख रहे हैं, जहां सरकार, जिसकी जिम्मेदारी संसद को चलाना है, वह इसे गंभीरता से नहीं ले रही है।’ उन्होंने कहा कि केंद्र ने संसदीय लोकतंत्र की परंपरा का सम्मान करने की कोई इच्छा नहीं दिखाई है।
शाह पर वार
उन्होंने आगे कहा, ‘शाह ने एक मंत्री के रूप में अपने कर्तव्य को पूरा करने के बजाय, न केवल सदन में उपस्थित होने से इनकार करके संसदीय लोकतंत्र का अपमान किया है, जो उनका कर्तव्य है। बल्कि जो सदन में कह सकते थे उसे बाहर जाकर पत्रकारों से कहा।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं में यही नियम है। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसलिए हमारे दृष्टिकोण से, सरकार ने जो किया वह अस्वीकार्य था और संसदीय लोकतंत्र की परंपरा का सम्मान करने की कोई इच्छा नहीं दिखाई। दूसरी बात, जब सांसदों ने गृह मंत्री की उपस्थिति और इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की, तो उन्हें निलंबित कर दिया गया।’
ये विधेक किए पारित
निलंबित सांसद ने लोकसभा में 97 सांसदों की अनुपस्थिति में तीन आपराधिक कानून विधेयकों – भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक और भारतीय लक्ष्य (द्वितीय) विधेयक के पारित होने को ‘अपमानजनक’ करार दिया।
उन्होंने कहा कि यह सच में अपमान है। वास्तव में पिछले साल ही, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों में से एक ने इस बात को कहा भी था कि विपक्ष की आलोचना और मंत्रिस्तरीय उत्तरों की विधायी बहस के अभाव में, न्यायाधीशों के लिए अपने विधायी इरादे को समझकर कानूनों की व्याख्या करना मुश्किल होगा। थरूर ने कहा कि आप इसी से समझ सकते हैं कि इस सरकार ने विपक्ष के साथ परामर्श या चर्चा के बिना इन कानूनों को खत्म करके देश को कितना नुकसान पहुंचाया है।’ उन्होंने कहा कि यह वास्तव में हमारे देश में संसदीय लोकतंत्र के लिए शोक संदेश लिखना शुरू करने का पल है।
भारत एक राजशाही
विरोध मार्च में भाग लेते हुए माकपा के एक अन्य निलंबित सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि केंद्र को अब यह कहने के लिए संविधान में संशोधन करना चाहिए कि भारत एक राजशाही है। उन्होंने कहा, ‘हम लोकतंत्र की नृशंस हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।लोकतंत्र का नरसंहार किया गया है। आप केंद्रीय गृह मंत्री को एकतरफा देख सकते हैं। उन्हें (केंद्र) अब यह कहने के लिए संविधान में संशोधन करना चाहिए कि भारत एक राजशाही है।
लोकतंत्र को बचाने की जरूरत
इस बीच, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘हम भारत के लोगों को लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है। विपक्षी सांसदों को निलंबित करके महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करना लोकतंत्र नहीं है। यह सबसे खराब तरह का अधिनायकवाद है। हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी, अगर हमने अब भी इस तानाशाही के खिलाफ आवाज नहीं उठाई।’