हैदराबाद। तेलंगाना में कांग्रेस की नई सरकार ने बुधवार को राज्य विधानसभा में वित्तीय स्थिति पर एक श्वेत पत्र पेश किया। उस दौरान राज्य के उममुख्यमंत्री व सरकार वित्त मंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने कहा कि राज्य के पास दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए भी पैसा नहीं है।
तेलंगाना पर चालू वित्त वर्ष (2023-24) के अंत तक 6.71 लाख करोड़ रुपये का बकाया कर्ज होगा। उन्होंने कहा कि 10 वर्ष पहले राज्य पर कुल 72,658 करोड़ रुपये का कर्ज था। बढ़ते कर्ज के लिए पिछले 10 वर्षों के दौरान पूर्ववर्ती बीआरएस सरकार की वित्तीय अनुशासनहीनता को जिम्मेदार ठहराया। विक्रमार्क ने तेलंगाना के वित्त पर संक्षिप्त चर्चा शुरू करने के लिए 42 पन्नों का श्वेत पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि श्वेत पत्र का उद्देश्य राज्य की वित्तीय स्थिति से संबंधित तथ्यों को लोगों के सामने रखना है, जो वर्तमान सरकार को विरासत में मिले हैं।
कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर 35 प्रतिशत का खर्च
श्वेत पत्र अनुसार, बजट के अंतर्गत और बजट से हटकर उधार ली गई धनराशि का ऋण चुकाने का बोझ बहुत बढ़ गया है। इसमें सरकार की कुल राजस्व प्राप्तियों का 34 प्रतिशत खर्च हो रहा है। वहीं कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर 35 प्रतिशत का खर्च हो रहा है।
चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान के अनुसार, एफआरबीएम (राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003) के तहत ऋण बढ़कर 3,89,673 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। तेलंगाना में बजटीय और वास्तविक व्यय के बीच लगभग 20 प्रतिशत का अंतर है। यह आंकड़ा न केवल अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है, बल्कि संयुक्त आंध्र प्रदेश के व्यय की तुलना में भी अधिक है। इसमें कहा गया कि नई सरकार पार्टी द्वारा दी गईं सभी छह गारंटियों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी गारंटियों पर राज्य की जनता ने बदलाव के लिए मतदान किया था।