गुलाब व गेंदे के फूलों से मुनाफे की खुशबू ले रहे बीकेटी क्षेत्र के सैकड़ों किसान

  • कम लागत में गुलाब और गेंदे की खेती से अधिक मुनाफा कमा रहे किसान

निष्पक्ष प्रतिदिन,लखनऊ। राजधानी के बीकेटी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत चंदनापुर,अजरायलपुर, तरहिया,असनहा,हनुमंतपुर,सहादत नगर गढ़ा, अटेसुआ,भागौतीपुर व सोनिकपुर सहित दर्जनों गांवों में किसानों का रुझान परंपरागत फसलों के बजाय फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है। इन दिनों गुलाब व गेंदा फूल की खेती से ज्यादा मुनाफे की खुशबू आ रही है।जिससे तहसील क्षेत्र में लगातार फूलों का रकबा बढ़ रहा है।इटौंजा व बीकेटी क्षेत्र में कई दर्जन गांवों के खेत इन दिनों पीले एवं लाल रंग में नहाए दिख रहे हैं। इसकी वजह किसानों द्वारा की गई बड़े पैमाने पर गेंदे और गुलाब के फूलों की खेती है। फूलों की खेती से न केवल खेतों का नजारा बदला है, बल्कि गांव के किसान फूल की बिक्री कर सम्पन्न हो रहे हैं।गांव के किसान अब सिर्फ परंपरागत खेती तक सीमित नहीं रहे। उनका झुकाव परंपरागत धान व गेहूं की खेती के साथ साथ तरबूज, पिपरमेंट, सूरजमुखी के साथ ही गेंदे और गुलाब के फूलों की खेती की तरफ होने लगा है। किसानों का कहना है कि गेंदे के फूल की खेती में कम लागत में अधिक मुनाफा मिलने की गारंटी होती है।

फूलों की खपत स्थानीय बाजार में न हो पाने के कारण फूल लखनऊ शहर की मंडी में भेजना पड़ता है। हालांकि किसान तरबूज व पिपरमिंट की खेती भी करते हैं लेकिन इनकी खेती में समस्याओं से किसान तौबा कर चुके हैं। ऐसे में बीकेटी व इटौंजा क्षेत्र में गेंदे और गुलाब के फूलों की खेती का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। इटौंजा क्षेत्र के कई गांवों में गेंदे और गुलाब के फूलों की खेती देख लोग आश्चर्यचकित हो जा रहे हैं।


तरहिया गांव के किसान परमानंद यादव पिछले 15 वर्षों से मात्र आठ बिसवा जमीन में गुलाब के फूलों की खेती कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि मेरे पास सिर्फ डेढ़ बीघा कच्ची जमीन है,उसी जमीन से हम अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि हमने 15 वर्ष पहले सिर्फ आठ बिसवा जमीन में गुलाब की खेती शुरु की थी।उन्होंने बताया कि हम आठ बिसवा गुलाब की खेती से हर साल तीन लाख रुपये कमा लेते हैं।आठ बिसवा में पांच हजार रुपये की लागत आयी थी।अब केवल खाद, पानी और निराई-गुड़ाई ही करनी पड़ती है।वहीं इटौंजा क्षेत्र के असनहा गांव के किसान अभिषेक यादव ने बताया कि हम तीन वर्षों से गेंदे की खेती डेढ़ बीघा पक्की जमीन में खेती कर रहे हैं।इस खेती में मेहनत कम और मुनाफा ज्यादा होता है।डेढ़ बीघे में हम हर साल तकरीबन दो से ढाई लाख रुपये कमा लेते हैं।उन्होंने बताया कि अन्य फसलों में मेहनत ज्यादा करने के बाद भी इतने पैसे की फ़सल नहीं होगी।उन्होंने यह बताया कि गुलाब व गेंदे की खेती फायदे का सौदा है।

हर वर्ष गुलाब व गेंदे के फूल से दोगुनी कमाई हो जाती है। उन्होंने बताया कि फिलहाल कोहरे में सिर्फ गेंदे के पौधों को नुकसान होता है, मगर गुलाब पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।उन्होंने यह भी बताया कि गेंदे के अच्छे उत्पादन के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती है। अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी पौधों के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। इसके उत्पादन के लिए तापमान 15.30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। उच्च तापमान, अधिक ठंड एवं पाला का गेंदे की फसल पर विपरीत प्रभाव डालता है। इसलिए इससे फसल को बचाना बेहद जरूरी होता है।

गुलाब का एक बार लगाया हुआ पौधा 20 वर्षों तक देता है पैदावार

किसान परमानंद ने बताया कि क्षेत्र में पानी की कमी है, यही वजह है कि कई किसान गुलाब व गेंदे के फूलों की खेती करने लगे हैं। किसान ने बताया कि गुलाब का एक बार लगाया हुआ पौधा 20 वर्षों तक पैदावार देता है और खर्चा भी कुछ नहीं लगता। उन्होंने बताया कि मात्र फंगस बीमारी से बचाव के लिए सावधानी बरतनी पड़ती है। किसान ने बताया कि कीटनाशक छिड़काव नहीं करते, क्योंकि मित्र कीट मधुमक्खियां के लिए खतरा बन जाता है। फूलों के पौधों के लिए मधुमक्खियां संजीवनी बूटी का काम करती हैं।

फूलों की खेती के लिए ऊंचे स्थान का चयन करें : बैजनाथ सिंह

जिला उद्यान अधिकारी बैजनाथ सिंह कहना है कि गुलाब व गेंदे की खेती वर्षभर की जा सकती है। फूलों की खेती फायदे का सौदा है। इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है। फूलों की खेती के लिए ऊंचे स्थान का चयन करना चाहिए। जिसमें समुचित जल निकास हो और खेत का स्थान छाया रहित होना चाहिए। जिस जगह पर गेंदे की खेती करनी हो, वहां की मिट्टी को समतल किया जाना चाहिए।

Related Articles

Back to top button