नई दिल्ली। एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि इस पर अंकुश लगाने के लिए अदालत द्वारा इसकी निरंतर निगरानी किए जाने की जरूरत है, ताकि अगले वर्ष सर्दियों में स्थिति ऐसी न हो। अगले वर्ष स्थिति बेहतर रहे। इसके साथ ही कोर्ट ने पराली जलने की घटनाओं के आंकड़े देखते हुए कहा कि अभी भी काफी पराली जल रही है।
यह हर हाल में रुकना चाहिए। ये टिप्पणियां न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने बुधवार को एनसीआर में वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई के दौरान कीं।
कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाएं। शीर्ष अदालत ने अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी द्वारा पेश नोट और रिपोर्ट देखी जिसमें बताया गया था कि एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में कई बैठकें हुई हैं।
नई दिल्ली। एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि इस पर अंकुश लगाने के लिए अदालत द्वारा इसकी निरंतर निगरानी किए जाने की जरूरत है, ताकि अगले वर्ष सर्दियों में स्थिति ऐसी न हो। अगले वर्ष स्थिति बेहतर रहे। इसके साथ ही कोर्ट ने पराली जलने की घटनाओं के आंकड़े देखते हुए कहा कि अभी भी काफी पराली जल रही है।
यह हर हाल में रुकना चाहिए। ये टिप्पणियां न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने बुधवार को एनसीआर में वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई के दौरान कीं।
कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाएं। शीर्ष अदालत ने अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी द्वारा पेश नोट और रिपोर्ट देखी जिसमें बताया गया था कि एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में कई बैठकें हुई हैं।
कोर्ट ने कहा कि इस सिलसिले में कुछ पंजाब को, कुछ हरियाणा को, कुछ दिल्ली को और कुछ अन्य मंत्रालयों को करने की जरूरत है। न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश की ओर से कचरा जलने की घटनाओं के बारे में दाखिल किए गए हलफनामे का जिक्र किया।
बताया कि उत्तर प्रदेश के हलफनामे में कहा गया है कि पहले से इसमें कमी आई है, जबकि दिल्ली ने भी उठाए गए कदमों का ब्योरा दिया है। उन्होंने इस पर वायु प्रदूषण प्रबंधन आयोग से रिपोर्ट मांगने का सुझाव दिया। इस सुझाव पर कोर्ट ने वायु प्रदूषण प्रबंधन आयोग से इस मुद्दे पर विचार करने को कहा।
वाहनों में प्रयुक्त हो रहे ईंधन के मुताबिक रंगीन स्टीकर के मामले में जब एक वकील ने इस पर कानून होने की बात कही तो कोर्ट ने कहा कि यह राज्यों की जिम्मेदारी है कि कानून को लागू करें। कोर्ट ने मामले को 27 फरवरी को फिर सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।