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- पानी न मिलने से पाले व कोहरा से बर्बाद होने की कगार पर पहुंची आलू,मटर व सरसों की फसलें
- सिंचाई विभाग के एसडीओ व जेई की खाऊ कमाऊ नीति के चलते क्षेत्र की नहरों में अभी तक पूरा नहीं हो सका है सिल्ट सफाई का कार्य
लखनऊ- रबी की मुख्य फसल गेहूं व सरसों को पानी की आवश्यकता है लेकिन नहरें और रजबहे सूखे पड़े हैं। पानी न मिलने से फसलें पाले व कोहरा से बर्बाद होने की कगार पर हैं। वहीं अभी तक बीकेटी व इटौंजा,महोना व अमानीगंज क्षेत्र होकर निकले रजबहों और माइनरों में समय से व मानकों को ताक पर रख की जा रही सिल्ट सफाई पूरी न हो पाने से धूल उड़ रही है। ऐसे में क्षेत्र हजारों किसानों के सामने अपनी गेहूं,मटर,सरसों व सब्जियों की फसलों की सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है।एक तरफ अभी जहां नहरों की सफाई का पूरा कार्य नहीं हो पाया है,तो वहीं नहरों में पानी कब छोड़ा जायेगा इसको लेकर किसानों की माथे पर चिंता की लकीरें साफ साफ दिखाई दे रही हैं।लेकिन सिंचाई अभियंता इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। इससे किसानों में गुस्सा बढ़ रहा है।किसानों ने गेहूं,मटर,चना व सरसों इत्यादि बो दी। अब खेत पानी मांग रहे हैं, और नहरों में पानी की जगह धूल उड़ रही है।किसानों का कहना है, कि जहां तक नहर निकली है और उससे सिंचाई होती हैं, वहां सरकारी ट्यूबवेल भी नहीं हैं। इस कारण किसान प्रभावित हो रहा है। लेकिन सिचाई विभाग के अधिकारियों को किसानों की पीड़ा महसूस नहीं हो रही है।
बता दें कि सिंचाई के लिए बीकेटी तहसील क्षेत्र में नहरों का जाल जरूर बिछा है, लेकिन किसान को सिंचाई के लिए समय पर पानी नहीं मिल पाता। हालात तो यहां तक हैं कि कहीं लोगों ने नहरों पर घर बना लिए तो कहीं प्रापर्टी डीलरों ने कब्जा कर रखा है। तो वहीं नहरों में पानी न आने से क्षेत्र के कई दर्जन गावों के बहुत से किसान तो पानी के इंतजार में खेत की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं, कई ने पानी आ जाने की उम्मीद में बुवाई तो कर दी है ,लेकिन वे अब अपनी सूख रही फसलों को बचाने के लिए परेशान हैं। पिछले काफी दिनों से नहरों में पानी नहीं पहुंचा। इससे किसानों के सामने अपनी फसलों की सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है। पिछले दिनों हुई बारिश से फसलों की सिंचाई हो गयी थी।लेकिन अब उनकी फसल सूख रही है। किसान राजाराम, रामअचल, सुशील सिंह, मो. नासिर ने बताया कि प्रत्येक वर्ष नहरों की सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी कर सरकार के लाखों रुपयों का बंदरबांट कर लिया जाता है। इससे किसानों को काफी समस्याएं होती हैं। शिकायत होने पर कहा जाता है कि जल्द पानी छोड़ा जाएगा। पर पानी कब छोड़ा जाएगा और नहर की सफाई कब होगी ये किसी को नहीं पता। सिर्फ कागजों पर ही काम दिखता है। वहीं क्षेत्र के सैंकड़ों किसानों का कहना है कि अभी तक नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि जल्द नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
नहरों में सिल्ट सफाई के नाम पर हो रहा लाखों का बंदरबांट
प्रदेश सरकार ने बरसात से पहले नहरों की सफाई और सिल्ट निकालने के आदेश दिए थे। लेकिन निष्पक्ष प्रतिदिन ने बुधवार को जब बीकेटी,महोना,अमानीगंज,कोटवा, पलिया,चाँदनापुर् में नहरों की सफाई व्यवस्था देखी तो सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए अफसरों-कर्मचारियों की बंदरबांट सामने आई।नहरों में सिल्ट की सफाई मानकों के अनुरूप होती हुई दिखाई नहीं दी, सिल्ट सफाई में सिर्फ खानापूरी की जा रही है।तो वहीं बरगदी गांव से आगे कोटवा गांव की पहुंचीने वाली नहर में तो कई सालों से पानी ही नहीं आया।इधर पूरी नहर अतिक्रमण की चपेट में है।
जिम्मेदार बोले
जहां जहां पर नहरों में मानकों के अनुरूप सिल्ट की सफाई नहीं हुई है।वहां वहां जांच कराई जाएगी,और नहरों में पानी जल्द ही छोड़ा जायेगा।