नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राज्यों को वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए और प्रयास करने को कहा है। एनजीटी ने राज्यों को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) और 15 वें वित्त आयोग के तहत मिली धनराशि का ‘पूर्ण उपयोग’ करने का भी निर्देश दिया है।
अधिकरण ने पांच दिसंबर को यह आदेश जारी करते हुए संबंधित राज्यों को आठ सप्ताह के अंदर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने बिहार (पटना, पूर्णिया और राजगीर), उत्तर प्रदेश (गाजियाबाद, नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा), पंजाब (बठिंडा), हरियाणा (फरीदाबाद , मानेसर, रोहतक और भिवाड़ी), राजस्थान (टोंक) और मेघालय (बर्नीहाट) में 22 नवंबर से चार दिसंबर तक बिगड़ती वायु गुणवत्ता का जिक्र किया।
कुछ शहरों में एक्यूआइ गंभीर एवं बहुत खराब
जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि कुछ शहरों में एक्यूआइ गंभीर एवं बहुत खराब, जबकि कुछ अन्य शहरों में यह मध्यम से गंभीर, खराब और बहुत खराब के बीच रहा।
दिल्ली में 24 नवंबर को एक्यूआइ गंभीर था जबकि ज्यादातर दिनों में यह बहुत खराब रहा। हालांकि पंजाब में पराली जलाने का सीजन खत्म होने के बाद शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार आया। पिछले महीने एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आनलाइन वायु गुणवत्ता बुलेटिन का संज्ञान लिया था और जिन राज्यों में वायु गुणवत्ता गिर गई थी अथवा गंभीर, बहुत खराब और खराब श्रेणियों में पहुंच गयी थी, उनके मुख्य सचिवों को तत्काल सुधार के सभी संभावित कदम उठाने को कहा था।
राज्य प्रशासनों द्वारा दाखिल रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए पांच दिसंबर को सुनवाई में अधिकरण ने कहा था कि ज्यादातर राज्यों ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम और 15 वें वित्त कार्यक्रम के तहत प्राप्त धनराशि का पूर्ण उपयोग नहीं किया।
केवल कुछ ही राज्यों ने एक्यूआइ निगरानी केंद्रों की स्थापना के लिए धनराशि का उपयोग किया जबकि कुछ अन्य राज्यों में ऐसे उद्देश्यों के लिए यह रकम खर्च की गई जिनका वायु गुणवत्ता में सुधार से सीधा कोई संबंध नहीं था।