केरल : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बुधवार को कहा कि वह राज्य सरकार से ‘‘सलाह लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनके दबाव के लिए नहीं।’’ खान का यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने स्वीकार किया है कि कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में गोपीनाथ रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति के संबंध में वह राज्य सरकार के दबाव में आ गए थे। उच्चतम न्यायालय ने गोपीनाथ की पुनर्नियुक्ति रद्द कर दी थी।
राज्यपाल ने यहां पत्रकारों से कहा कि वह सरकार के दबाव के आगे सिर्फ इसलिए झुके कि पुनर्नियुक्ति के संबंध में राज्य के शीर्ष विधि अधिकारी, महाधिवक्ता (एजी) की कानूनी राय थी। उन्होंने कहा, “मैंने मीडिया के सामने कहा है कि मैंने जो किया वह गलत था। लेकिन, मैं उस दबाव के आगे झुक गया, क्योंकि महाधिवक्ता की एक कानूनी राय थी। अन्यथा, राजनीतिक दबाव का मैं विरोध करता।”
खान ने कहा, “अगर मुझे किसी चीज़ की वैधता के बारे में कोई भ्रम है, तो मैं किसके पास जाऊंगा? महाधिवक्ता के पास, क्योंकि वह राज्य में शीर्ष विधि अधिकारी हैं।” राज्यपाल ने दावा किया कि पुनर्नियुक्ति पर सहमति जताते हुए उन्होंने कहा था कि महाधिवक्ता की राय अवैध थी और उन्होंने दस्तावेजों पर भी यही लिखा था।
राज्य के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति के रिक्त पदों की स्थित के बारे में पूछे जाने पर खान ने कहा कि कुलाधिपति के रूप में उन्होंने उच्चतम न्यायालय का फैसला आते ही उन पदों को भरने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की वजह से ये पद इतने लंबे समय तक रिक्त थे।